आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी वादों का दौर जोर-शोर से जारी है. राजनीतिक पार्टियों के द्वारा एक के बाद एक ऐतिहासिक फैसले लिए जा रहे हैं. इन्हीं फैसलों में से कर्जमाफी का फैसला भी एक है. कर्ज माफी के मुद्दे पर हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता में वापसी की है. ख़बरों की मानें तो इस जीत से उत्साहित कांग्रेस ने इस मुद्दे को आगामी लोकसभा के चुनाव में भी एक बड़ा मुद्दा बनाने का मन बना लिया है. इसी कड़ी में हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक चुनावी रैली में सभी गरीबों को 'न्यूनतम इनकम गारंटी' देने का वादा किया है.
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कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को छत्तीसगढ़ में जनसभा को संबोधित कर आगामी लोकसभा चुनाव के प्रचार की हुंकार भरी. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अटल नगर में आयोजित किसान आभार रैली में राहुल गांधी ने 2019 चुनाव में जीत के लिए बड़ा वादा किया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि '2019 में कांग्रेस की सरकार बनने पर गरीबों के लिए ऐसा काम किया जाएगा, जो अब तक पूरी दुनिया में किसी भी सरकार ने नहीं किया है.
राहुल गांधी ने कहा 'केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर गरीबों के लिए न्यूनतम आमदनी देने की योजना लागू की जाएगी. इसके अंतर्गत हर गरीब के बैंक एकाउंट में न्यूनतम आमदनी की राशि डाली जाएगी. ऐसा करने वाली कांग्रेस सरकार दुनिया की पहली सरकार बन जाएगी.' इस दौरान राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि बीजेपी दो हिंदुस्तान बनाना चाहती है. एक हिंदुस्तान उद्योगपतियों का, जहां कर्ज माफ कर उन्हें सब कुछ मिल सकता है और दूसरा गरीब किसानों का हिंदुस्तान, यहां कुछ नहीं मिलेगा, सिर्फ मन की बात सुनने को मिलेगी. अगर हमारी सरकार बनेगी तो जनता के मन की बात सुनी जाएगी और हम उनके मन के अनुसार काम करेंगे.
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गौरतलब है कि 'यूनिवर्सल बेसिक इनकम' (यूबीआई) स्कीम को लागू करने पर जीडीपी का 3 से 4 फीसदी खर्च आएगा, जबकि अभी कुल जीडीपी का 4 से 5 फीसदी सरकार सब्सिडी में खर्च कर रही है. आर्थिक सर्वे 2016-17 में भी इस योजना को लागू करने के लिए जो तीन सुझाव दिए गए थे, उनमें पहला सुझाव सबसे गरीब 75 प्रतिशत आबादी को लाभ दिए जाने का था. इसमें कहा गया था कि इस पर जीडीपी का 4.9 प्रतिशत हिस्सा खर्च होगा. वहीं, 2016-17 के आर्थिक सर्वे में 2011-12 के डिस्ट्रीब्यूशन और कंजम्पशन को आधार मानते हुए गरीबी के स्तर का अनुमान 0.45 फीसदी लगाया गया था, जबकि इस दायरे को गरीबी से उबारने के लिए 7,620 करोड़ के सालाना इनकम या यूबीआई की जरूरत बताई गई थी.