लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए मेरठ प्रशासन ने अनोखा कदम उठाया है. विकास खंड हस्तिनापुर के सौ से अधिक सरकारी स्कूलों में मिड-मील भोजन की प्रक्रिया बदल दी गई है. दरअसल प्रशासन ने यहां पढ़ने वाले लगभग 8 हजार बच्चों को सीधे उनके घर में भोजन भेजने का प्रबंध किया है.
खंगाला जा रहा है रिकॉर्ड
इस काम को जल्दी से जल्दी करने के लिए विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के रिकॉर्ड खंगाल रही है. स्कूलों के बंद होने के बाद अब हर माह का भोजन प्रदिदिन के हिसाब से अभिभावकों को दिया जाएगा.
मार्च के बाद से बंद हैं स्कूल
कोरोना महामारी के कारण मार्च के बाद से लॉकडाउन लगा हुआ है, जिसके कारण स्कूलों को बंद रखा गया है. यहां पढ़ने वाले बच्चों का भोजन मार्च के बाद से प्रभावित है.
कंवर्जन कॉस्ट के रूप में मिलेगी रक्म
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मिड डे मील में प्रयुक्त मसालों एवं खाद्य तेल आदि के लिए कंवर्जन कॉस्ट का स्वरूप तैयार किया जाएगा. इसी कॉस्ट को ध्यान में रखते हुए खातों में रक्म भेजा जाएगा. फिलहाल सभी स्कूलों को खाद्यान्न मिल चुका है और उम्मीद है कि वितरण प्रक्रिया भी जल्दी शुरू हो जाएगी.
ये खबर भी पढ़े: 31 सालों में पहली बार कैंसिल हुआ दिल्ली का लोकप्रिय आम महोत्सव, जानिए वजह
कितना मिलेगा कंवर्जन कॉस्ट
कंवर्जन कॉस्ट को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक विद्यालय के हर बच्चे को 374 रुपये दिया जाएगा, जबकि उच्च प्राथमिक के प्रति बच्चे को 561 रुपए दिया जाएगा.
प्रधानाध्यापक को देना होगा हिसाब
भोजन के हिसाब की जवाबदेही प्रधानाध्यापक के जिम्मे रहेगी. बच्चों के बारे में खाद्यान्न की जानकारी उन्हीं को कोटेदार को देनी होगी. इसी जानकारी के हिसाब से कोटेदार बच्चों के अभिभावकों को भोजन उपलब्ध कराएगा. पैसा उपलब्ध कराने के लिए सरकार अभिभावकों के नाम, मोबाइल नंबर एवं बैंक खाता संख्या आदि की जानकारी जुटा रही है.