वर्षा ऋतु में मवेशियों की वैज्ञानिक देखभाल एवं प्रबंधन Vermicompost Subsidy: वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाने पर किसानों को मिलेगा 50 हजार रुपये अनुदान, जानें कैसे उठाएं लाभ! खुशखबरी! 1 से 7 जुलाई तक मनाया जाएगा फसल बीमा सप्ताह, ऐसे कराएं किसान रजिस्ट्रेशन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 2 May, 2019 10:41 AM IST

छत्तीसगढ़ के करतला ब्लॉक में किसान काजू के साथ -साथ अब दशहरी आम के उत्पादन में भी काफी ज्यादा आगे आ चुके है। किसान इस तरह की बागवानी करके ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने का कार्य कर रहे है। यहां पर किसानों ने 5 साल पहले ही 900 एकड़ में 22 हजार 500 से ज्यादा पौधे लगाए थे। अब इन सभी आमों का उत्पादन कार्य शुरू हो चुका है। इनमें एक पेड़ में 14 से 20 किलो तक आम का उत्पादन हो रहा है. जोकि उत्पादन के लिहाज से काफी बेहतर माना जा रहा है। किसानों के इस तरह आम के उत्पादन के जरिए 35 से 40 हजार रूपये की अच्छी कमाई हो जाती है। वही पर रसायन मुक्त पैदावर के लिए अभी से रायपुर से लेकर नागपुर तक डिमांड आने लगी है पहले यहां के किसान स्थानीय बाजार के साथ ही बिलासपुर और जांजगीर चंपा जिले में खपा देते थे। यहां पर जैसे ही पैदावार बढ़ोगी वैसे ही आम का उत्पादन भी काफी बेहतर ही होगा। इस साल आम का उत्पादन 15000 क्विंटल तक का अनुमान है।

नाबार्ड ने शुरू किया काम

पीडिया के लाखन सिंह राठिया के मुताबिक, 5 साल पहले जब नाबार्ड ने क्षेत्र में बाड़ी विकास कार्यक्रम की शुरूआत की थी। इसमें काफी ज्यादा सफलता की  संभावना थी। यहां की बंजर भूमि में पहले किसान बारिश के समय में तिलहन, दलहन का छिड़काव कर देते थे। इसमें बारिश हो जाने पर आसानी से बेहतर फसल मिल जाती थी। सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि दलहन, तिलहन का छिड़काव कर देते थे। इसी बंजर भूमि में अब आसानी से नींबू, काजू के पौधे लग रहे है। किसान ने बाड़ी में 25 आम के पौधे लगाने का कार्य किया है, जिसकी अच्छे से देखरेख करने से उसमें अच्छे से फल लगने भी शुरू हो गए है। शुरूआत में उसी पेड़ से 70 से 80 किलो तक एतक बाड़ी तक उत्पादन होता था। किसान कहते है कि वह आम को पकाने के लिए किसी भी तरह से रायासनिक खाद का प्रयोग नहीं करते है।

दशहरी के साथ ही अल्फांसों व लगड़ा आम

किसान का कहना है कि उन्होंने सबसे पहले दशहरी आम के पौधे लगाने का कार्य किया है। इसके बाद कुछ ही मात्रा में अलफांसों और लगड़ा आम भी काफी ज्यादा आ चुका है। फिलहाल दशहरी की सबसे ज्यादा पैदावार हो रही है। शुरूआत में जब इसकी खेती शुरू हुई थी तो इसकी मात्रा काफी कम ही थी। अब यह खेती के धीरे-धीरे बढ़ जाने से विपणन संस्था के जरिए आम को बाजार तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया है। आने वाले समय में आम की पैदावार में तेजी से बढ़ोतरी होगी। किसान इस तरह से आम की पैदावार को करके असानी से 35 से 40 हजार रूपये सलाना कमा सकते है। शुरूआत में वह इससे 10 से 15 हजार रूपये कमा पाते थे। उसके बाद वह आम के साथ नींबू की पैदावार भी करने लगे है। यह क्षेत्र आम की पैदावार के लिए जाना जाएगा। यहां भी किसान सहकारी समिति के माध्यम के मार्केटिंग भी करने लगे है।

English Summary: Chhattisgarh's Kartla mango variety is the important choice of people here
Published on: 02 May 2019, 10:44 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now