छत्तीसगढ़ सरकार इस योजना को वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ चालू करने वाली थी, लेकिन महामारी के चलते राज्य सरकार ने इस योजना में दिया जाने वाला पैसा कम होने की वजह से रोक दिया था. इस साल की शुरुआत में, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि उनकी सरकार 2011 की जनगणना के बाद भारत में दशकीय जनगणना के अभाव में एक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कराएगी. 59.79 लाख परिवारों का सर्वे अप्रैल में किया गया था और इसका अपडेट मई तक चला, जिसके अनुसार 10,76,545 परिवार कच्चे (कमजोर) घरों में रहते पाए गए.
100 प्रतिशत खर्च वहन करेगी सरकार
छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार, अभी ऐसे कई परिवार हैं जो अब इस सुविधा के लिए पात्र नहीं हैं और बहुत से परिवार ऐसे भी हैं जो पहले पात्र नहीं थे लेकिन अब वह इस श्रेणी में आते हैं. सरकार ने यह घोषणा सर्वे के आधार पर जुलाई में की थी. “मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास न्याय योजना राज्य में आवास योजना के पात्र लाभार्थियों को घरों के बनाने के लिए सहायता देगी और इसमें आने वाले खर्च का 100 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी.
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सामाजिक-आर्थिक जनगणना 2023
वित्तीय वर्ष 2023-24 में छत्तीसगढ़ सामाजिक-आर्थिक जनगणना 2023 में पाए गए 47,090 बेघर परिवारों को राज्य सरकार की योजना के पहले चरण में लाभ मिलेगा. राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को आवास के लिए 1.30 लाख रुपये और मैदानी क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को 1.20 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी. प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण को केंद्र सरकार ने 2016 में सामाजिक-आर्थिक और जातीय जनगणना के आधार पर लागू किया था. योजना के तहत 18,75,580 लाख परिवार स्थायी प्रतीक्षा सूची में शामिल हैं, जिनमें से 11,76,146 परिवारों को आवास की स्वीकृति दी जा चुकी है और 6,99,439 परिवार अभी भी स्थायी प्रतीक्षा सूची से लाभान्वित नहीं हुए हैं.
लेकिन वहीं विपक्ष ने इसे सिर्फ एक वोट बैंक की राजनीति माना है. विपक्षी दल के प्रवक्ता के अनुसार यह सिर्फ वोट के लिए की जाने वाली राजनीति है. सरकार के पास पहले भी पैसा था लेकिन वह इन योजनाओं को केवल चुनाव में जनता को लालच के तौर पर लटका कर रखे हुए थी.