भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का चंद्रयान-3 आज बुधवार को इतिहास रचने के लिए पूरी तरह से तैयार है. भारतीय समयानुसार शाम 6:04 मिनट पर लैंडर विक्रम चांद की दक्षिणी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा है. इस पर भारत समेत पूरी दुनिया की करोड़ों निगाहें टिकी हुई हैं. यह लैंडिंग होते ही हमारा भारत देश चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर पहुंचने वाला दुनिया का सबसे पहला देश बन जाएगा. आपको बता दें, इस मिशन पर केवल 600 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जो अन्य विदेशी चन्द्रयान मिशन से बहुत ही कम खर्च है.
अंतिम 17 मिनट होंगे अहम
आपको बता दें कि लैंडर के सॉफ्ट-लैंडिंग की प्रक्रिया 17 मिनट में पूरी होनी है. ऐसे में इसरो द्वारा सभी मापदंडों को देखते हुए इसरो बेंगलुरु के निकट इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) से लैंडिंग के सभी आवश्यक कमांड को लैंडिंग मॉड्यूल पर अपलोड करेगा. इस अंतिम 17 मिनट में लैंडर के इंजन को सही समय और उचित ऊंचाई पर चांद पर लैंडिग के लिए अच्छी तरह से निगरानी में उतारा जाएगा. इसमें वैज्ञानिकों को सही मात्रा में ईंधन का उपयोग करना, नीचे उतरने से पहले किसी प्रकार की बाधा, पहाड़ या खड्डा जैसी विपरीत स्थितियों पर निगरीनी रखना होगा.
देख सकेंगे सीधा प्रसारण
आज शाम यानि 23 अगस्त शाम 5:20 बजे से ISRO इसका सीधा प्रसारण पूरी दुनिया के लिए करेगा. देश के अधिकांश स्कूल, कॉलेज में भी इसके सीधे प्रसारण की व्यवस्था की जा रही है. आप इसरो की आधिकारिक वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और फेसबुक पेज पर भी इसका प्रसारण देख सकते हैं. इसके अलावा यह दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर भी सीधा प्रसारित किया जाएगा.
दक्षिणी ध्रुव क्यों है अहम
चांद की दक्षिणी सतह पर लैंडिंग करते ही भारत एक इतिहास रच देगा और चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा. आपको बता दें कि दुनिया भर के वैज्ञानिक चांद की दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की कोशिश कर रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह वहां पर जमे बर्फ के उपस्थिति की संभावना जताई जा रही है. वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रमा पर पानी मिलने से वहां पर स्थायी निवास की व्यवस्था की जा सकती है.
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मिट्टी की सतह का करेगा अध्ययन
विक्रम लैंडर अपने साथ रोवर प्रज्ञान भी चांद की सतह पर उतारेगा. इस लैंडर में लगे तीन Payloads चांद की सतह का अध्ययन करेंगें. रोवर कुछ दूर चलने के बाद चांद की मिट्टी का अध्ययन करेगा. इस प्रज्ञान रोवर में तीन पेलोड लगे हैं. इनमे से पहला दक्षिणी ध्रुव की मिट्टी अध्ययन करेगा. दूसरा रासायनिक पदार्थ, खनिजों का अध्ययन करेगा और तीसरा पेलोड चांद पर जीवन की संभावना का अध्ययन करेगा.
बता दें, अब तक पूरी दनिया में अमेरिका, रूस और चीन ने ही सफलतापूर्वक चांद पर अपने लैंडर उतारे हैं. इस सफलता के बाद हमारा भारत देश चांद पर उतरने वाला चौथा देश बन जाएगा.