रेशम एक ऐसा उत्पादन है, जिसकी खेती से किसानों को लागत से ज्यादा मुनाफा मिलता है. जी हाँ, बाज़ार की मंडियों में इसका मूल्य अधिक होने की वजह से यह सबसे बेश्कीमती फसल मानी जाती है. इसी क्रम में रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल राज्य के बिलासपुर जिले के कृषि वैज्ञानिकों ने रेशम उत्पादन के लिए एक ख़ास तरह की तकनीक विकसित की है. जिससे किसानों को अब रेशम फसल के उत्पादन से अच्छा लाभ मिलेगा.
दरअसल, हाल ही में जिला बिलासपुर के रेशम उत्पादन केंद्र घुमारवीं के तहत रेशम उत्पादन केंद्र नालागढ़ में अरंडी के कीटों से रेशम तैयार करने का प्रयोग किया गया है, जिसमें वैज्ञानिकों को अच्छी सफलता हासिल हुई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि अरंडी के कीट से तैयार रेशम किसानों के लिए एवं फसल उत्पादन के लिए काफी अच्छी मानी जाएगी.
इसी क्रम में जिले के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को मई माह के अंत तक मुफ्त में अरंडी के बीज वितरण करने की योजना बना रहा है. मिली जानकारी के अनुसार, विभाग ने तमिलनाडु राज्य से अरंडी के 50 कौंस बीज भी मंगवाए हैं, ताकि अरंडी के बीज से उत्पादित पत्तों को खाने वाले कीट से गर्म रेशम तैयार किया जा सके.
विभाग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि अरंडी से तैयार रेशम का उत्पादन शशहतूत के पत्तों से तैयार किया रेशम से कहीं अधिक गुणकारी है. इसके अलावा वैज्ञानिकों का बताना है कि 1 कौंस बीज से करीब 60 किलों कोकून तैयार किया जायेगा.
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अरंडी कीट से उत्पादित रेशम की खासियत (Characteristics Of Silk Produced From Castor Moth)
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मिली जानकारी के अनुसार, अरंडी के एक पौध से करीब 6 बार रेशम को तैयार किया जा सकता है.
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अरंडी से उत्पादित रेशम शेह्तुत की रेशम से कम दर में है.
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इस किस्म के रेशम ने बीमारियों का खतरा नहीं होगा.
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इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि अरंडी से रेशम तैयार करने वाला कीड़ा 40 से 45 डिग्री तापमान में भी रेशम उत्पादित करने की क्षमता रखता है.
जिले के एक हजार किसानों को होगा बीज वितरण (Seed Distribution Will Be Done To One Thousand Farmers Of The District)
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इसी बीच विभाग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार जिले के करीब 1, 000 किसानों बीज वितरण किया जायेगा.
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इसके अलावा विभाग का उद्देश्य करीब 1000 बीघा भूमि में अरंडी के पौध को लगाना है.
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अरंडी से तैयार रेशम के लिए जिले में प्लांट तैयार किये जायेंगे .
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साथ ही इन प्लांटों को एक हजार भूमि में रोपित किया जायेगा.