कृषि के दृष्टिकोण से अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो वहां की कुल भूमि का लगभग ८वां हिस्सा ही कृषि योग्य है. अधिकांश कृषि योग्य भूमि में केवल परती खेती वाली भूमि या सीढ़ियां और पहाड़ होते हैं, जो मुख्यत: चारागाह के रूप में उपयोग किए जाते हैं. अफगानिस्तान में बहुत बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जाती है. वहां बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों का भी उप्तादन किया जाता है.
अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति
दो दशक बाद तालिबान ने एक बार फिर अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. अफगानिस्तान में रहने वाले लोगों का जीना दुश्वार हो चुका है. उनका जीवन अब अंधकारमय है. आलम यह है कि चौतरफा अराजकता और अफरातफरी का माहौल है. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए. दुनिया के सभी देश वहां के दूतावासों से अपने देश के लोगों को वापस बुला रहे हैं.
वहीं, इस मुश्किल घड़ी में राष्ट्रपति अशरफ गनी अपने जीवन भर की कमाई बटोरकर अपने देशवासियों को लाचार छोड़ दूसरे देश चले गए हैं. कल तक खुशी से खिलखिलाने वाले अफगानियों के चेहरों पर अब उदासी छाई हुई है. अब सभी अफगानी कैसे भी करके किसी देश में शरण लेना चाहते हैं. वहीं, कई देश अफगानियों को शरण देने पर राजी हो चुके हैं.
अफगानिस्तान की सत्ता पर जबरन काबिज करने वाले तालिबानी लगातार अफगानिस्तान में रह रहे लोगों को यह यकीन दिला रहे हैं कि, उनके नेतृत्व में किसी के साथ भी नाइंसाफी नहीं होगी लेकिन आज से दो दशक पहले तालिबानियों की क्रूरता को याद कर किसी को भी तालिबान के इन अल्फाजों पर यकीन नहीं हो रहा है.
चिंता में अंतरराष्ट्रीय बिरादरी
सर्वविदित है कि अफगानिस्तान हमारा पड़ोसी देश है और हम खुश रहे इसके लिए यह जरूरी हो जाता है कि हमारे पड़ोसी देश में शांति बनी रहे, लेकिन विगत कुछ दिनों से जिस तरह के हालात अफगानिस्तान में बने हुए हैं, उसे लेकर भारत समेत अन्य देशों की चिंता जायज है.
भारत के अफगानिस्तान के साथ सांस्कृतिक, और व्यापारिक संबंध रहे हैं. प्राचीनकाल से लेकर अब तक भारत और अफगानिस्तान के बीच कई उत्पादों का आयात-निर्यात हुआ है, लेकिन अब जब अफगानिस्तान में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, तो इसका भारत के व्यापारिक हितों पर दुष्प्रभाव होना तय है. यही नहीं, विगत कुछ वर्षों में अफगानिस्तान में आधारिक संरचना को विकसित करने के ध्येय से भारत ने वहां कई परियोजनाओं में लाखों करोड़ों का निवेश किया है, लेकिन तालिबानियों द्वारा जबरन सत्ता पर काबिज होने से अब इन सभी परियोजनाओं का क्या होगा? कोई कुछ कह नही सकता. जानिएं मौजूदा वक्त में अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन होने से भारत के व्यापारिक हितों पर क्या असर पड़ेगा.
भारत-अफगानिस्तान के बीच आयात-निर्यात पर असर
भारत, अफगानिस्तान से किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पिस्ता, सूखे खूबानी जैसे मेवों का आयात करता है. इसके अलावा वहां से अनार, सेब, चेरी, खरबूजा, तरबूज, हींग, जीरा और केसर का भी आयात किया जाता है. वित्त वर्ष 2020-21 में दोनों देशों के बीच 1.4 अरब डॉलर यानि करीब 10,387 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था. उससे पहले वित्त वर्ष 2019-20 में दोनों देशों के बीच 1.5 अरब डॉलर यानी करीब 11,131 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था.
2020-21 में भारत ने अफगानिस्तान को करीब 6,129 करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात किया था, जबकि भारत ने 37,83 करोड़ रुपये के उत्पादों का आयात किया था, लेकिन अब जिस तरह की स्थिति अफगानिस्तान में बनी हुई है, उसे देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि अब दोनों देशों के बीच जारी व्यापारिक हित व्यापक स्तर पर दुष्प्रभावित हो सकते है.
भारत ने अफगानिस्तान में किया निवेश
इसके अलावा अफगानिस्तान के आधारिक विकास के लिए भारत ने वहां बहुत निवेश किया है. अभी हाल ही में भारत ने अफगानिस्तान की शिक्षा एवं स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए 22,350 करोड़ रूपए का निवेश किया है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वर्तमान में भारत अफगानिस्तान के साथ तकरीबन 400 परियोजनों पर काम कर रहा है, जिसमें भारत ने भारी निवेश किया है, लेकिन अफसोस तालिबानियों के इस कृत्य के बाद ये सभी परियोजनाएं धरी की धरी रह गई है. अब ऐसे में सरकार आगे चलकर क्या कुछ कदम उठाती है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.