केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार (5 सितंबर 2019) को कहा कि खरीफ फसलों (गर्मियों में बोई जाने वाली फसलें) की स्थिति अच्छी है और भारत में इस साल खाद्यान्न का बम्पर उत्पादन होने की संभावना है. इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय जस्ता संघ (IZA) और भारतीय उर्वरक संघ (FAI) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वैश्विक सूक्ष्म पोषण सम्मेलन के मौके पर उन्होने कहा कि स्थिति काफी अच्छी है और उत्पादन भी अच्छा होगा. अगस्त के महीने में मानसून की वृद्धि के साथ, खरीफ फसलों के बुवाई क्षेत्रफल में काफी सुधार हुआ है.
30 अगस्त 2019 तक चावल का रकबा करीब 354.84 लाख हेक्टेयर था. जोकि एक साल पहले करीब 372.42 लाख हेक्टेयर था. दलहन की बुवाई भी करीब 127.99 लाख हेक्टेयर से घटकर लगभग 131.54 लाख हेक्टेयर हो गई, जबकि मोटे अनाजों का रकबा करीब 171.74 लाख हेक्टेयर था और पिछले साल के करीब 171.15 लाख हेक्टेयर की तुलना में तिलहन की बुवाई 170.78 लाख हेक्टेयर में थोड़ी कम थी. इसके अलावा, लगभग 117.66 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कपास का रकबा करीब 124.9 लाख हेक्टेयर था.
कृषि मंत्री ने उर्वरकों के संतुलन का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए उत्पादकों को बोने या बुवाई से पहले अपने कृषि क्षेत्र की मिट्टी की स्वास्थ्य जांच करने के लिए कहा. कृषि मंत्री तोमर ने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “हमने प्राथमिकता के आधार और मिशन मोड पर लगभग 12 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए हैं. ऐसे में किसानों को बुवाई से पहले मृदा स्वास्थ्य जांच के लिए जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि खेती करने वालों को सिखाने और शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान की आवश्यकता है, भले ही देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हो गया हो, लेकिन उत्पादकता और उत्पादन को और अधिक बढ़ावा देने और आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग सुनिश्चित करने, उर्वरकों के सही उपयोग, अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने और किसानों को उच्च आय सुनिश्चित करने के लिए एक चुनौती बनी हुई है.
तोमर ने कहा कि केंद्र ने विभिन्न कदम उठाए हैं, जिसमें उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना समर्थन मूल्य तय करना, लगभग 90,000 करोड़ रुपये का पीएम-किसान कार्यक्रम शुरू करना, जिसके तहत 6,000 रुपये प्रति वर्ष 3 समान किस्तों और पेंशन में प्रदान किए जा रहे हैं.