दुनिया भर में जैविक कृषि उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है, क्योंकि जैविक उत्पाद रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग किए बगैर उगाए जाते हैं. 31 मार्च 2019 तक 35.6 लाख हेक्टेयर भूमि जैविक प्रमाणन प्रक्रिया (राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत पंजीकृत) के तहत आ रही थी. इसमें 19.4 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य थी और 14.9 लाख हेक्टेयर वनो के लिए थी. जैविक प्रमाणन के अंतर्गत सबसे अधिक भूमि मध्य प्रदेश में है. उसके बाद राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश आते हैं. 2016 में सिक्किम इकलौता ऐसा राज्य बना जिसकी समूची कृषि योग्य भूमि (76000 हेक्टेयर से अधिक) जैविक प्रमाणन में शामिल हो गई.
भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के अधीन सांविधिक निकाय कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) जैविक खाद्य के मेले बायोफैच इंडिया 2019 में जैविक खाद्य उत्पादों, सामग्री, जिंसों तथा प्रसंस्कृत खाद्य के प्रमुख केंद्र के रूप में भारत की ताकत दिखाएगा. तीन दिन चलने वाला बायोफैच इंडिया 2019 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), नई दिल्ली में 7 से 9 नवंबर, 2019 तक आयोजित किया जाएगा.
एपीडा के चेयरमैन श्री पवन के बड़ठाकुर ने कहा, “व्यापार मेला-प्रदर्शनी बायोफैच 2019 में भारत तथा विदेश के निर्यातकों, प्रसंस्करणकर्ताओं, रिटेल चेन उद्योग, प्रमाणन संस्थाओं एवं उत्पादकों समेत 6000 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. वे चाय, मसाले, शहद, बासमती चावल, कॉफी, अनाज, मेवे, सब्जी, प्रसंस्कृत खाद्य एवं औषधीय पौधों समेत विभिन्न भारतीय जैविक उत्पादों पर चर्चा करेंगे और उनका प्रत्यक्ष अनुभव करेंगे.”
श्री बड़ठाकुर ने कहा, “जैविक थीम पर एपीडा द्वारा लगाई जाने वाली पैविलियन बायोफैच 2019 की खासियत होगी, जिसमें सामान सीधे प्रदर्शित किया जाएगा और भारतीय जैविक खाद्य उत्पादकों को बी2बी तथा बी2एस बैठकों के जरिये अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के साथ सीधे कारोबार हासिल करने के मौके मिलेंगे. उत्पादकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार से सीधे जुड़ने का मौका मुहैया कराने के लिए एपीडा प्रमुख आयातक देशों से 75 से अधिक खरीदारों को आमंत्रित एवं प्रायोजित कर रहा है.”
उन्होंने बताया, “तीन दिन के इस कार्यक्रम में जैविक उत्पादकों, निर्यातकों, रिटेलरों, व्यापारियों, प्रसंस्करणकर्ताओं, आईसीएस प्रबंधन निकायों, प्रमाणन संस्थाओं तथा प्रमाणित जैविक कृषक समूहों समेत समूचा जैविक कृषि समुदाय उपस्थित रहेगा और एपीडा के अंतर्गत राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (NPOP) में उगाए जा रहे जैविक उत्पादों की विभिन्न किस्में प्रदर्शित करेगा.”
उन्होंने कहा, “भारत ने 2018-19 में 26.7 लाख टन प्रमाणित जैविक खाद्य का उत्पादन किया, जिसमें तिलहन, गन्ना, मोटे अनाज, कपास, दलहन, औषधीय पौधे, चाय, फल, मसाले, मेवे, सब्जियां, कॉफी जैसे सभी किस्मों के खाद्य उत्पाद शामिल थे. उत्पादन केवल खाद्य क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि कपास के जैविक रेशे और जैविक फंक्शनल फूड उत्पाद भी उगाए जाते हैं.”
श्री बड़ठाकुर ने बताया, “मध्य प्रदेश सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, जिसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और राजस्थान आते हैं. जिंसों की बात करें तो सबसे ज्यादा उत्पादन तिलहन का होता है, जिसके बाद चीनी उत्पादन में काम आने वाली फसलें, मोटे अनाज, रेशे वाली फसलें, दलहन, औषधीय, जड़ी-बूटी तथा सुगंधित पौधे एवं मसाले आते हैं. 2018-19 में कुल 6.14 लाख टन निर्यात हुआ था. जैविक खाद्य का लगभग 5151 करोड़ रुपये (75.749 करोड़ डॉलर) का निर्यात हुआ था. जैविक उत्पाद अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, न्यूजीलैंड और जापान को निर्यात किए जाते हैं.
उन्होंने कहा, “भारत ने 2018 19 में 5151 करोड़ रुपये (75.7 करोड़ डॉलर से अधिक) के जैविक उत्पाद निर्यात किए थे, जबकि 2017-18 में 3453 करोड़ रुपये (51.5 करोड़ डॉलर से अधिक) के उत्पादों का निर्यात हुआ था. इस तरह निर्यात में लगभग 49 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई. जैविक उत्पादों में अलसी के बीज (फ्लैक्स सीड), तिल एवं सोयाबीन; अरहर, चना जैसी दालों और चावल एवं चाय तथा औषधीय पौधों की अधिक मांग है. अमेरिका तथा यूरोपीय संघ के देशों ने भारत से सबसे ज्यादा खरीदारी की. कुछ वर्षों से कनाडा, ताइवान एवं दक्षिण कोरिया से भी मांग बढ़ रही है. जर्मनी भारतीय जैविक उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक है. अब कई अन्य देश भी दिलचस्पी ले रहे हैं.”
भारत के जैविक कृषि एवं जैविक खाद्य क्षेत्र का सबसे बड़ा कार्यक्रम बायोफैच इंडिया 2019 में देश भर के जैविक कृषि एवं खाद्य समुदाय की उपस्थिति रहेगी. इसका आयोजन नर्नबर्ग मेसे इंडिया और एपीडा द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है.