धान की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बेहद ही अच्छी खबर है. बता दें धान की फसल की कटाई के बाद जो अवशेष बचता है, उसे किसान जला देते हैं. जिस वजह से वातावरण में प्रदूषण की समस्याएं उत्पन्न होती हैं जिससे कई प्रकार की बीमारियाँ होने की संभावना रहती है, लेकिन इस बीच एक अच्छी खबर सामने आ रही है.
दरअसल, दिल्ली सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के साथ मिलकर पराली से खेत में खाद बनाने की नयी तकनीक (बायो डी-कंपोजर) तैयार की है.
बायो डी-कंपोजर कैप्सूल (Bio D-Composer Capsule)
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने एक खास तरह का कैप्सूल तैयार किया है, जिसे एक तय मात्रा में पानी, बेसन और गुड़ के साथ मिलाकर छिड़काव किया जाता है. यह कैप्सूल 5 तरह के जीवाणुओं से मिलकर बनाया गया है. जो फसल के लिए बहुत लाभदायी साबित होगी
24 सितम्बर से होगी शुरुआत (will start from 24 september)
बता दें, कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने बायो डी-कंपोजर घोल के छिडकाव की टाइम लाईन तय की है, जिमसें इस घोल को बनाने की प्रक्रिया 24 सितम्बर से की जाएगी. सरकार की तरफ से जारी की गई टाइम लाईन के अनुसार इस बायो डी-कंपोजर का उपयोग फसलों में 5 अक्टूबर से चालू कर दिया जायेगा.
बायो डी-कंपोजर तकनीक से किसान को होगा लाभ (Farmers Will Benefit From Bio De-Composer Technology)
बता दें कि इस बायो डी-कंपोजर तकनीक से प्रदूषण की समस्या कम तो होगी, साथ ही इसके उपयोग से मिटटी की उर्वरा शक्ति अच्छी होगी
कैसे होगा छिडकाव की प्रक्रिया (How Will The Process of Spraying Be Done?)
-
इस बायो डी-कंपोजर तकनीक में 4 कैप्सूल से 25 लीटर छिड़काव बनाया जा सकता है जो कि प्रति हेक्टेयर के लिए इतेमाल किया जा सकता है.
-
बता दें कि इस कैप्सूल से घोल बनाने के लिए सबसे पहले 5 लीटर पानी लेना होगा.
-
उसके बाद इसमें 100 ग्राम गुड़ डालकर उबालना है.
-
इसके बाद थोड़ी देर के लिए इस घोल को ठंडा होने को रख दें.
-
जब घोल ठंडा हो जाये इसके बाद इस घोल में 50 ग्राम बेसन मिलाकर 4 कैप्सूल डाल दें.
-
इसके बाद इस घोल को 10 दिन तक एक अंधेरे कमरे में रख दें.
-
इस तरह यह छिड़काव तैयार हो गया.
ऐसे ही फसलों की अच्छी खाद सम्बन्धी जानकारी जानने के लिए जुड़े रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल से.