सरकार की तरफ से राशन कार्ड को लेकर एक बड़ा कदम उठाया गया है. दरअसल, सरकार ने पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम (Public Distribution System) से 43 लाख 90 हजार फर्जी और अवैध राशन कार्ड (Ration Card) को रद्द कर दिया गया है. यह कदम इसलिए उठाया गया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत योग्य लाभार्थियों को सब्सिडी वाला अनाज मिल सके.
डिजिटलीकरण अभियान से आई पारदर्शिता
खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि बीते 7 साल में सरकार ने इस सिस्टम में धोखाधड़ी रोकने पर ध्यान केंद्रित किया है. साल 2013 से पहले बड़ी संख्या में फर्जी और डुप्लीकेट राशन कार्ड थे, इसलिए डिजिटलीकरण अभियान को सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने और उसमें सुधार लाने के लिए चलाया गया है. बता दें कि अयोग्य राशन कार्डों को हटाते समय हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए परिभाषिति कवरेज के भीतर नए लाभार्थियों को जोड़ा गया है.
दो-तिहाई आबादी को NFSA का लाभ
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत लगभग 81.35 करोड़ लोगों को लाभ दिया जाता है. बता दें कि यह देश की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा है. फिलहाल, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्र योजना (Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana/PMGKAY) के तहत लगभग 80 करोड़ लोगों को हर महीने 5 किलो मुफ्त अनाज मिल रहा है. मौजूदा समय में सरकार इस योजना का विस्तार कर रही है. इस योजना की शुरुआत मार्च 2020 में कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए शुरू किया गया था.
कम दाम पर मिलता है अनाज
NFSA के तहत कम सब्सिडी दर पर लगभग 4.2 करोड़ टन अनाज वितरित किया जाता है. गेहूं को 2 रुपए प्रति किलोग्राम और चावल 3 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से बांटा जाता है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana/PMGKAY) के तहत हर महीने 3.2 करोड़ टन मुफ्त अनाज का बांटा जाता है. कोरोना काल में इस दोनों योजनाओं के तहत ही ज़रूरतमंदों की मदद की गई है.
प्रवासी मजदूरों को मिलेगी मदद
केंद्र सरकार द्वारा 'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' योजना (One Nation One Ration Card Scheme) लागू की गई है. यह योजना तेजी से काम कर रही है, जिससे प्रवासी मजदूरों को जल्द लाभ मिल सके. इसके तहत देशभर के हिस्सों में योग्य व्यक्ति को सरकारी सब्सिडी पर राशन दिया जा सकेगा. बता दें कि अभी तक सरकार ने नेशनल पोर्टेबिलिटी क्लस्टर के तहत 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस योजना के साथ जोड़ लिया है.