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Updated on: 7 December, 2020 2:11 PM IST
Farmers' Protests

कृषि कानून के खिलाफ किसानों के महाआंदोलन (Farmers' Protests) ने देशव्यापी रूप ले लिया है. इसके चलते किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद (Bharat Bandh on 8th December) का ऐलान भी कर दिया है. भारत बंद में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों के किसान संगठन मौजूद रहेंगे. आइए इस लेख में समझते हैं कि क्यों भारत बंद का ऐलान किया गया है? इसका असर कहां-कहां दिखने वाला है? और इसे किस तरह टाला जा सकता है.

क्यों किया भारत बंद का ऐलान?

किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिया जाए. इसके लिए किसानों ने आंदोलन भी शुरू कर दिया है, साथ ही दिल्ली से लगने वाली सीमाओं को ब्लॉक कर दिया है.

किसने किया भारत बंद का ऐलान?

आपको बता दें कि देशभर के किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. इसके साथ ही ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमिटी (All India Kisan Sangharsh Coordination Committee) भी इसका समर्थन करने वाली है, जिसमें देशभर के करीब 400 से ज्यादा किसान संगठन शामिल हैं. किसानों ने सरकार को इशारा कर दिया गया है कि किसान आंदोलन राष्ट्रव्यापी है. आने वाले दिनों में यह और बढ़ सकता है. बता दें कि भारत बंद को तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल जैसी पार्टियों ने खुलकर समर्थन किया है, तो वहीं बाकी राजनीतिक दल भी सरकार को घेरे हुए हैं.

कहां-कहां दिखेगा भारत बंद का असर?

  • किसान संगठनों ने देशभर में चक्का जाम करने की तैयारियां कर ली हैं.

  • दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसान संगठनों ने पहले से ही कब्‍जा कर लिया है.

  • भारत बंद के दौरान रेल सेवाओं को भी प्रभावित करने की कोशिश की जाएगी.

  • कृषि आधारित इलाकों में बंद का व्यापक असर देखने को मिलेगा.

  • भारत बंद के दौरान बाजार से लेकर सामान्य जनजीवन पर काफी बुरा असर पड़ सकता है.

  • दिल्ली की सड़कें जाम रह सकती हैं.

  • दिल्ली में दूध और सब्जी की किल्लत हो सकती है.   

  • अगर राजनीतिक दल भी भारत बंद के समर्थन में आ गए, तो इसका दायरा और बढ़ सकता है.

  • हालांकि इमरजेंसी और जरूरी सेवाओं को किसी तरह प्रभावित नहीं किया जाएगा.      

किस बात के लिए किसान कर रहे आंदोलन?

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून लागू किए गए हैं, जिनको लेकर किसानों आंदोलन कर रहे हैं. यह तीनों बिल सीधे देश के कृषि क्षेत्र पर असर डालते हैं, तो आइए आपको समझते हैं कि आखिर इन कृषि कानूनों में क्या है और किसान क्यों इनका विरोध कर रहे हैं?

1. कृषि बाजारों को लेकर कानून (कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम- 2020)

क्या है कानून?

  • ऐसा इकोसिस्टम बनाना, जिससे किसान और व्यापारी राज्यों की APMCs के तहत फसल बेचने और खरीदने की स्वरतंत्रता पा सकें.

  • फसल के बैरियर-फ्री इंटरस्टेट को बढ़ाना

  • फसल के इन्फ्रा-स्टेट ट्रेड को बढ़ावा देना

  • इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग के लिए ढांचा उपलब्ध कराना.

क्यों किसान कर रहे विरोध?

  • राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा, क्योंकि अगर किसान रजिस्टर्ड APMC मंडियों से इतर फसल बेचेंगे, तो मंडी शुल्क नहीं देना पडेगा.

  • खेती का पूरा व्यापार मंडियों से बाहर जाने पर राज्यों में कमिशन एजेंट्स  का क्या होगा?

  • इससे MSP आधारित खरीद की व्यवस्था खत्म हो सकती है.

  • अगर ट्रेडिंग के अभाव में मंडियां बंद हो गईं, तो e-NAM का क्या होगा.

2. कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग पर नया कानून (कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020

क्या है कानून?

  • इस कानून की मदद से किसान सीधे एग्री-बिजनेस फर्मों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सोपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से फसल की तय कीमत पर कॉन्ट्रैक्ट कर सकेंगे.

  • 5 हेक्टेयर से कम जमीन होने पर एग्रीग्रेशन और कॉन्ट्रैक्ट के जरिए फायदा होगा.

  • किसानों के लिए आधुनिक तकनीक के जरिए बेहतर इनपुट्स उपलब्ध कराना

  • किसानों की आमदनी बढ़ाना

  • मार्केटिंग की लागत घटाना

क्यों किसान कर रहे विरोध?

  • किसानों के पास कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के मामले में मोलभाव करने की क्षमता कम हो जाएगी.

  • अगर किसी तरह का विवाद होता है, तो प्राइवेट कंपनियां, होलसेलर्स और प्रोसेसर्स के पास बेहतर कानूनी विकल्प रहेंगे.

3. कमोडिटीज से जुड़ा कानून (आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020)

क्या है कानून?

  • आलू, प्याज, अनाज, दालों और तेल जैसी फसलों को जरूरी वस्तुओं की सूची से बाहर करना.

  • इस कानून से कृषि क्षेत्र में FDI को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि निवेशकों के मन से दखलअंदाजी का डर कम होगा.

  • कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई चेन को आधुनिक बनाने के लिए निवेश किया जाएगा.

  • किसानों और उपभोक्ताओं के लिए कीमतें स्थिर करने में मदद होगी.

क्यों किसान कर रहे विरोध?

  • असाधारण परिस्थितियों के लिए तय कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि शायद वे कभी लागू न हों पाएं.

  • बड़ी कंपनियों को स्टॉक जमा करने की अनुमति मिल जाएगी, जिससे वे किसानों को अपने हिसाब से चलाएंगी.

  • हाल ही में प्याज के निर्यात पर लगे बैन में इसके लागू होने पर कन्फ्यूजन है.

किसानों और केंद्र सरकार के बीच क्या हुई बातचीत?

आपको बता दें कि अब तक किसान संगठनों और केंद्र सरकार संगठनों के बीच करीब 5 बार बातचीत हो चुकी है. बीते कुछ दिन पहले बैठक के बाद मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि एमएसपी (MSP) पर कोई खतरा नहीं है. बता दें कि आने वाली 9 दिसंबर को एक और बैठक होने वाली है, जिसमें कुछ न कुछ हल ज़रूर निकलकर सामने आएगा.

English Summary: Bharat Bandh on 8th December
Published on: 07 December 2020, 02:21 PM IST

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