जिस समय बाजार में आम की आवक बढ़ती है उसी समय लॉकडाउन के कारण इसमें रुकावट पैदा हुई. कोरोना संक्रमण के डर से लॉकडाउन के बीच आम उत्पादक किसान पेड़ों से फल तोड़ने नहीं सके. वे लॉकडाउन हटने और परिवहन व्यवस्था सामान्य होने का इंतजार करते रहे. कम से कम पेड़ों में आम के सुरक्षित रहने पर किसानों को संतोष था कि देर से ही सही बाजार में आम पहुंच जाएगा और उन्हें इसका उचित मूल्य प्राप्त होगा. लेकिन चक्रवाती तूफान ‘अंफान’ ने पश्चिम बंगाल के आम उत्पादक किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
बुधवार को अंफान ने जिस तरह 150-185 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बंगाल के तटवर्ती जिलों में तबाही मचाई उसमें जगह-जगह आम के पेड़ उखड़ गए. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान व बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली के कोलकाता स्थित आवास परिसर में लगे आम का एक पुराना पेड़ भी तूफान की चपेट में आने के कारण जड़ से उखड़ गया. तूफान थमने के बाद गांगुली पुलिस कर्मियों की मदद से टूटे आम को उसी जगह लगाने में सफल हुए.
हालांकि, भीषण तूफान के बीच मजबूत और नए आम के पेड़ जरूर उखड़ने से बच गए लेकिन उनका फल पूरी तरह धराशायी हो गया. कितने आम के पेड़ टूट कर गिरे है, प्रशासनिक स्तर पर इसकी गितनी की जा रही है. लेकिन अंफान की तबाही में यह तसवीर साफ झलक रही है कि बंगाल में दो मिलियन टन आम के उत्पादन पर आधारित किसानों के लिए जो मजबूत आर्थिक आधार था वह दरक गया.
दक्षिण 24 परगा, मालदा, मुर्शिदाबाद और नदिया समेत अन्य कुछ जिलों में बड़े-बड़े आम के बागान हैं. देश में 22 मिलियन टन आम के उत्पादन में पश्चिम बंगाल भी एक बड़ा आम उत्पादक राज्य में गिना जाता है. मुबंई, दिल्ली, अहमदाबाद और हैदराबाद आदि देश के बड़े शहरों में बंगाल के आम की अधिक मांग रहती है. बाजार में बंगाल के हेमसागर और मालदा किस्म के आम की बाजार में महेशा मांग बनी रहती है.
पश्चिम बंगाल के लगभग आधा दर्जन से अधिक जिलों मे आम का मौसम किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आय का जरिया है. अकेले मालदा जिले में ढाई लाख किसान परिवार की आर्थिक आधार आम की बागवानी है. आम के मौसम में फल बेचकर उन्हें करीब- करीब साल भर के लिए आमदनी हो जाती है. बुधवार को अंफान के तटवर्ती जिलों में तबाही मचाने के बाद गुरुवार की सुबह मालदा में भी 110 किलो मीटर की रफ्तार से तूफान चला. बताया जाता है कि मालदा में पेड़ों में तैयार आम हवा की तेज रफ्तार को झेल नहीं सके. पेड़ों के अधिकांश आम तूफान की चपेट में आकर झर गए.
मई-जून में तो कोलकाता का सबसे बड़ा मछुआ फल मंडी की रौनक आम से ही बढ़ती थी. कोरोना संक्रमण के कारण मई तक मछुआ फल मंडी से आम की रौनक गायह रही. व्यापारियों को उम्मीद थी कि मई के अंत में परिवहन व्यवस्था सामान्य होगी और मछुआ फल मंडी में आम की आवाक एकाएक बढ़ जाएगी. लेकिन चक्रवाती तूफान अंफान ने आम के व्यापारियों की उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया. महानगर के एक स्थानीय फल व्यापारी ने कहा कि तूफान में जो तैयार आम झर गए हैं उन्हें बाजार में लाने की कोशिश होगी. लेकिन क्षतिग्रस्त आम के खरीददार नहीं मिलेंगे. कुल मिलाकर इस बार आम के मौसम में किसान और व्यापारी दोनो को निराशा ही हाथ लगेगी.
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