Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 10 February, 2020 11:21 AM IST

बेमौसम बारिश ने एक बार फिर किसानों की समस्या बढ़ा दी है. खेतों में रबी फसल की बुवाई के बाद कई बार मौसम ने अपना मिजाज़ बदला, जिसका असर अब किसानों की फसल और आमदनी पर पड़ा रहा है. एक तरफ बेमौसम बारिश ने रबी फसल को बर्बाद किया है, तो वहीं दूसरी तरफ इसका असर फसल बीमा पर भी पड़ने वाला है. आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिला में कृषि विभाग ने एक सर्वे शुरू किया है, जिसमें किसानों को रबी फसल में हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है. इस सर्वे के मुताबिक, इस बार सभी किसान फसल बर्बाद होने पर बीमा का लाभ नहीं उठा पाएंगे. 

कृषि विभाग का सर्वे

कृषि विभाग द्वारा हर गांव में जाकर फसल का निरीक्षण करके एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है. इस  रिपोर्ट के मुताबिक, जिन गांव के किसानों की फसल का केवल 10 प्रतिशत भाग बर्बाद हुआ है, उन  किसानों को बीमा कंपनी की तरफ से मुआवज़ा दिया जाएगा, लेकिन जिन किसानों की अधिसूचित रबी फसल का रकबा न्यूनतम 10 हेक्टेयर से कम है और उन किसानों से फसल बीमा कराया ही नहीं गया है, तो इस स्थिति में किसानों को मुआवज़ा नहीं दिया जाएगा.

क्यों नहीं मिलेगा मुआवज़ा?

दरअसल, इससे पहले किसानों के लिए न्यूनतम हेक्टेयर का निर्धारण पंचायत स्तर पर किया जाता था,  लेकिन अब इसको ग्राम स्तर पर कर दिया गया. बता दें कि राजनांदगांव जिले में कई ऐसे गांव हैं, जहां इस बार अधिसूचित रबी फसल का रकबा 15 हेक्टेयर से कम है. ऐसे में किसानों को बीमा से वंचित होना पड़ रहा है. फिलहाल किसान सरकारी दफ़्तरों में फ़रियाद लगा रहे हैं कि इस मामले में किसानों को राहत दी जाए.

कब तक कराना था बीमा

पीएम फसल बीमा योजना के तहत रबी फसल साल 2019-20 के लिए बीमा दिसंबर तक कराना था. बता दें कि बीते साल 1 लाख 14 हजार हेक्टेयर की फसल का बीमा कराया गया था,  लेकिन इस बार अभी तक बीमित रकबे की जानकारी नहीं मिली है. इस साल किसानों से गेंहू सिंचित के लिए प्रीमियम राशि प्रति हेक्टेयर 495 रुपये की दर से जमा कराई गई है, तो वहीं गेंहू असिंचित के लिए 300, चना 473, अलसी 188 और सरसों के लिए 300 रुपए प्रीमियम राशि जमा कराई गई है.

इतने किसानों ने सहकारी बैंक से कराया बीमा

इस बार करीब 15 हजार किसानों ने सहकारी बैंक से रबी फसल बीमा कराया है. इसमें ऋणी और अऋणी, दोनों वर्ग के किसान हैं. पिछले साल के मुताबिक इस साल ज़्यादा किसानों ने बीमा करा रखा है.

ये खबर भी पढ़ें:खीरे की ओपन फ़ील्ड में करें बुवाई, अच्छी उपज के लिए अपनाएं टपक विधि

 

English Summary: benefit of crop insurance to farmers if the area under rabi crop is less than 10 hectares
Published on: 10 February 2020, 11:23 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now