Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 8 January, 2020 5:51 PM IST

मोदी सरकार का साल 2020-21 का बजट पेश होने वाला है. इस साल भी किसानों को इंतज़ार है कि सरकार किसानों के लिए क्या नया करने वाली है. इसी कड़ी में मधुमक्खी पालन विकास समिति ने मांग की है कि सरकार के आगामी बजट में मधुमक्खी पालकों को किसान का दर्जा दिया जाए, साथ ही मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिए लगभग 200 करोड़ रुपये का मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाए. इसके अलावा समिति ने सिफारिश की है कि भूमिहीन मधुमक्खी पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा भी दी जाए.  

उनका मानना है कि अगर बाजार टूटने की स्थिति आती है, तो मधु मूल्य स्थिरीकरण कोष से किसानों के नुकसान की कुछ भरपाई हो पाएगी. आपको बता दें कि सरकार ने एक मधुमक्खी पालन विकास समिति का गठन किया था, जहां किसानों की आय दोगुनी करने के लिए मधुमक्खी पालन संबंधी सिफारिशें देनी थी. ये समिति सरकार को साल 2019 में अपनी सिफारिशें सौंप चुकी है. इसके मुताबिक उनकी मांगें आम बजट में पूरी होनी चाहिए.

मधुमक्खी पालन की बात करें, तो भारत में छठे स्थान पर इसका उत्पादन होता है. समिति का मानना है कि उनके सुझावों से देश पहले पायदान पर पहुंच सकता है. इसके अलावा समिति ने सुझाव दिया है कि सभी सड़कों, रेल मार्गों और नदियों के किनारे ऐसे पौधे लगाए जाएं जिनसे पूरे साल मधुमक्खियों को फूलों का रस मिलता रहे. इस प्रक्रिया से शहद का उत्पादन भी होगा, साथ ही अन्य उत्पाद जैसे परागकण या पोलन, रॉयल जैली, मोम, प्रोपोलिस, डंक आदि का भी निर्यात किया जा सकता है जिससे देश को साल में लगभग 1,200 करोड़ रुपये की विदेशीमुद्रा की आय मिल सकती है.

जानकारी के लिए बता दें कि साल 2018-19 में लगभग 1 लाख 15 हजार टन शहद का उत्पादन हुआ, जिसमें लगभग 62 हजार टन का निर्यात किया गया है. समिति ने सिफ़ारिश की है कि शहद और इससे जुड़े अन्य उत्पादों की गुणवत्ता जांचने के लिए विश्व स्तरीय जांच प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएं जिससे निर्यात में आने वाली शिकायतें भी दूर हो सकें.

आपको बता दें कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा ही व्यवसाय है, जिससे काफी लाभ कमाया जा सकता है.  बाजार में शहद और इसके उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है, इसलिए बड़े पैमाने पर मधुमक्खी के पालन की प्रगत प्रणाली और प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे मधुमक्खी पालन में सरकार की भी मदद मिल सके.

English Summary: beekeeping development committee demanded grant of farmer status
Published on: 08 January 2020, 05:54 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now