कोरोना के बाद आई आर्थिक व्यवस्था में सुस्ती को लेकर आज हर कोई परेशानी में है. ऐसे में जब हालत थोड़ी बेहतर हुई है, तो हर कोई अधिक से अधिक कमाई करना चाहता है और अपनी आय को दोगुनी करना चाहता है. ऐसे में सबसे कम आंका जाने वाला क्षेत्र जो आपकी आय को बढ़ा सकता है, वह है कृषि. कुछ ऐसे फसलें या पौधे हैं जो अत्यधिक लाभदायक हैं यानि कम लागत में दोगुना मुनाफा- ऐसा ही एक पौधा है चंदन भी है. इस पेड़ की खेती से आप आसानी से लाखों कमा सकते हैं.
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चंदन की मांग काफी ज्यादा है और दुनियाभर में मौजूदा उत्पादन इस मांग को पूरा नहीं कर पाते हैं. जिसके कारण चंदन की कीमत में भारी वृद्धि हुई है.
चंदन के पेड़ दो तरह से उगाए जा सकते हैं: जैविक और पारंपरिक. चंदन के पेड़ों को जैविक तरीके से उगाने में करीब 10 से 15 साल लगते हैं, जबकि पारंपरिक तरीके से एक पेड़ को उगाने में करीब 20 से 25 साल लगते हैं. साथ ही जंगली जानवरों से भी बचाकर रखने की जरुरत है.
दरअसल चन्दन की बेहद मनमोहक होती है जिसके कारण जंगली जानवर इसकी ओर खींचे चले आते हैं और इसको नुक्सान भी पहुंचाते हैं. इसलिए आवारा जानवरों को पेड़ों से दूर रखने की जरूरत है. ये पेड़ रेतीले और बर्फीले क्षेत्रों को छोड़कर किसी भी क्षेत्र में उगाए जा सकते हैं. चंदन का उपयोग इत्र और सौंदर्य प्रसाधन और यहां तक कि आयुर्वेदिक दवाओं में भी किया जाता है. चन्दन की बढ़ती मांग और उत्पाद में कमी की वजह से ही आज इसकी कीमत आसमान छू रही है.
लाभदायक बिजनेस आइडिया: चंदन की खेती से भारी मुनाफा कमाएं
एक निवेशक के लिए चंदन की खेती का लाभ बहुत बड़ा है. अगर एक बार चंदन का पेड़ 8 साल का हो जाए, तो उसका हर्टवुड बनना शुरू हो जाता है और रोपण के 12 से 15 साल बाद कटाई के लिए भी तैयार हो जाता है.
जैसे ही पेड़ बड़ा हो जाता है, तो किसान हर साल 15-20 किलो लकड़ी आसानी से काट सकता है. और यह लकड़ी बाजार में करीब 3-7 हजार रुपए प्रति किलो बिकती है जो कि 10000 रुपए प्रति किलो तक भी हो सकती है.
IWST के अनुमानों के अनुसार, प्रति हेक्टेयर चंदन की खेती की लागत पूरे फसल चक्र (15 वर्ष) के लिए लगभग 30 लाख रुपये है, लेकिन रिटर्न 1.2 करोड़ रुपये से लेकर 1.5 करोड़ रुपये तक है.
चंदन की खेती के लिए दी जाने वाली सब्सिडी
भारत में नाबार्ड जैसे कई बैंक हैं जो किसानों को चंदन के पेड़ की खेती के लिए सब्सिडी और ऋण की सुविधा प्रदान करते हैं. राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड भी चंदन परियोजनाओं पर सब्सिडी प्रदान कर रहा है.