जलवायु परिवर्तन का असर फसलों के उत्पादन पर बहुत बुरा दिख रहा है. इस परिवर्तन की वजह से किसानों की आय भी काफी प्रभावित होती जा रही है. जलवायु परिवर्तन की वजह से फसलों में कई प्रकार के रोगों का खतरा बढ़ जाता है और फसलें पूर्णरूप से बर्बाद हो जाती है. अगर फलों की बात करें तो जलवायु परिवर्तन (Climate Change ) का प्रभाव फलों पर भी दिखाई देता है.
इन पर भी कई तरह के रोगों का खतरा मंडराने लगता है. ऐसी ही एक खबर महाराष्ट्र के नासिक से है जहाँ अनार के बागों (Pomegranate Orchards ) पर तैल झुलसा रोग (Oil Scorch Disease ) का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. जिस वजह से किसानों को भरी नुकसान हुआ है.
दरअसल, मौसम के बदलाव के कारण नासिक जिले के कसमाडे क्षेत्र में अनार के बाग पर तैल झुलसा (Disease on pomegranate orchard) नामक रोग का स्थायी प्रकोप बढ़ने लगा हैं. नासिक के अनार संघटन की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार बताया गया है कि, यह रोग की वजह से इस साल अनार की फलों के उत्पादन में काफी गिरावट आई है.
रोग पर छिड़काव का कोई प्रभाव नही (There Is No Effect Of Spraying On The Disease)
वहीँ किसानों का कहना है कि बेमौसम बारिश के कारण इस रोग का प्रकोप बढ़ रहा है, यह तेल एक जीवाणु रोग हैं यह रोग पहले अनार के पेड़ को बुरी तरह से प्रभावित करता है और कुछ ही समय में यह रोग पूरे बगीचे में फैल जाता हैं. हमे ऐसी कोई भी दवा नहीं मिली है जो इस रोग के प्रवाह को रोक सके, हालांकि उनके प्रभाव को कम किया जा सकता हैं लेकीन ख़त्म नही किया जा सकता हैं. इस वजह से फसलों को लाखों का नुकसान हो रहा हो है.
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किसान बागों को नष्ट करने पर हुए मज़बूर (Farmers Are Forced To Destroy The Orchards)
बादल छाए रहने और लगातार हो रही बेमौसम बारिश के कारण अनार पर तैल झुलसा का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि इसके लिए कई उपाय किए गए हैं, लेकीन रोग नियंत्रण नही हो पाया, जिसके चलते किसान अब बागों को नष्ट करने पर मजबूर हो गए हैं.