खेतों में दिन-प्रतिदिन पसीना बहाने के बाद खड़ी हुई बाजरे की फसल पर अब कई स्थानों पर काफी संकट मंडरा रहा है. इन दिनों सबसे बड़ा संकट बना हुआ है एक बेहद ही छोटा-सा कीड़ा. बाजरे की फसल पर बैठने पर यह कीड़ा बिल्कुल टिड्डे की तरह होता है. राजस्थान राज्य में इन दिनों जयपुर के साथ ही कई स्थानों पर यह कीड़ा दिखाई दे रहा है. इस कीड़े ने किसानों की चिंता को काफी बढ़ा दिया है. इस टिड्डीनुमा कीट को फड़का के नाम से जाना जाता है. इससे बाजरे की फसल रोगग्रस्त हो रही है. हालात यह है कि खेतों में फसल खराब होने की कगार पर पहुंच गई है. कई खेतों में यह कीट बाजरे की फसल को बर्बाद कर चुका है. इसके पर कीटनाशक का छिड़काव करना भी इस कीट के प्रकोप पर बेअसर साबित हो रहा है. कई स्थानों पर एक पौधे पर दर्जनों फड़का कीट लगे हुए है. जो कि बाजरे की पत्तियों को खा जाते है.
पत्तियों को कर जाता चट
कुछ समय में पौधों की पत्तियां खा जाने से केवल तना बच जाता है. ऐसे में बाजरे के खेत में पौधों में सिट्टे का विकास नहीं हो पा रहा है. सिट्टे से ही बाजरा निकलता है. जब सिट्टा ही नहीं बनेगा तो फिर पौधे से बाजरा ही नहीं उत्पादित होगा.गुडलिया गांव निवासी मोतीलाल यादव ने बताया कि खेत में बाजरे की खड़ी हुई फसल को फड़का कीट चट करने में लगा है. साथ ही सैकड़ों बीघा में फसल खराब हो गई है. किसानों का कहना है कि फड़का कीट का प्रकोप पिछले सालों में कम होने की जगह पर बढ़ता ही जा रहा है.
ऐसे होता है कीट का प्रजनन
बता दें कि मादा फड़का कीट जमीन के करीब 90 सेमी नीचे अण्डा देती है. जून जुलाई और अगस्त के महीने में फड़का शिशु अवस्था में अंडों से बाहर निकलकर पौधों पर आ जाता है. जब यह व्यस्क हो जाता है तो यह उड़कर अन्य स्थानों पर पहुंच जाता है और फसलों को नुकसान पहुंचाता है.अगर समय रहते किसानों ने इनकी ठीक से देखभाल और रोकथाम करने के उपाय़ नहीं किए तो व्यस्क होने पर यह तेजी से फसलों को नुकसान पहुंचाता है. फड़का कीट को मारने में कीटनाशक, तेज धूप और बारिश काफी सहायक होती है.