क्या आप भी अपने खेत में केले की खेती (Banana Farming) करना चाहते हैं? क्या आपको भी कम लागत में ज्यादा मुनाफे की (Banana Profit in India) चाहत है? तो आप एकदम सही जगह आये हैं. दरअसल, देश में कई ऐसे विभाग हैं जो किसानों को फल, फूल, मिर्च, मसालों व अन्य फसलों की खेती करने पर अनुदान (Farming Subsidies in India) देता है. तो आइये जानते हैं कि केले की खेती में आपको कितना मिलेगा अनुदान (Banana Farming Subsidy).
केले की खेती के लिए अनुदान (Subsidy for Banana Cultivation)
जी हां, उद्यान विभाग यूपी के गोंडा जिले (Horticulture Department Gonda District of UP) के लिए कई ऐसी योजनाएं चला रहा है जिसमें किसानों को कई फसलों के लिए अनुदान दिया जा रहा है.
ऐसे में प्रति एकड़ केले के पौधे खरीदने के लिए उद्यान विभाग गोंडा के किसानों को 30,738 रुपये का अनुदान दे रहा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर किसान को केवल 4 एकड़ तक ही अनुदान मिल सकेगा.
भारत में केले की खेती (Banana Cultivation in India)
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आम के बाद केला (Banana) भारत की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फल फसल है.
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भारत में केला उत्पादन (Banana Production in India) में प्रथम और फल फसलों के क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है.
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केले (Banana Growing States) की महाराष्ट्र में सबसे अधिक उत्पादकता है. अन्य प्रमुख केला उत्पादक राज्य कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और असम हैं.
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यह अपने स्वाद, पौष्टिक और औषधीय गुणों के कारण साल भर उपलब्ध रहता है.
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यह सभी वर्ग के लोगों का पसंदीदा फल है. यह कार्बोहाइड्रेट और विटामिन विशेष रूप से विटामिन बी का एक समृद्ध स्रोत है.
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केला हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करता है.
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केले से विभिन्न उत्पाद बनाए (Different Products from Bananas) जाते हैं जैसे चिप्स, केला प्यूरी, जैम, जेली, जूस आदि. इसके अलावा, केले के रेशे का उपयोग बैग, बर्तन और वॉल हैंगर जैसी वस्तुओं को बनाने के लिए किया जाता है.
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केले के कचरे से रस्सी और अच्छी गुणवत्ता का कागज तैयार किया जा सकता है.
केले की बुवाई का समय (Banana Sowing Time)
Kele ki Buvai का सही समय फरवरी से मार्च तक का होता है. यदि आपको केले की उन्नत फसल चाहिए तो आपके लिए यह सर्वोत्तम समय है.
केले की कटाई (Banana Harvesting)
Kele ki Fasal बोने के 11-12 महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. जब केला थोड़ा या पूरी तरह से पक जाए तब भी बाजार की आवश्यकता के अनुसार कटाई करें.