त्योहारी अवधि के दौरान कमी की आशंका के बीच देश में घरेलू खपत के लिए पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने 1 जून, 2022 को चीनी के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था. वहीं, यह अभी आगे भी जारी रह सकता है.
सरकार यह कदम भारत में कमजोर मानसून के कारण गन्ने की उत्पादकता में आई कमी की अनुमान के मद्देनजर उठा सकती है. दरअसल, अधिकारीयों के अनुसार अगस्त माह में अल नीनो के कारण मानसूनी बारिश में कमी दर्ज हुई है. जिस कारण गन्ने की होने वाली वार्षिक उत्पादन में अनुमान से ज्यादा कमीं देखी गई है. इस कारण यदि सरकार यह कदम नहीं उठाती है तो भारत में चीनी के दामों में बढोत्तरी होने की सम्भावना बनी रहेगी.
अल नीनो ने बढ़ाई मुश्किलें
अल नीनो के चलते अगस्त माह में मानसून कमजोर रहा है. जिस कारण वार्षिक वर्षा औसत से कम रही है. ऐसे में सरकार सबसे पहले घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए निर्यात पर प्रतिबन्ध को जारी रख सकती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार द्वारा प्रतिबन्ध 1 जून 2022 को लगाया गया था. जिसके बाद इसे एक बार फिर जारी रखने के आदेश को पारित कर दिया गया है. सरकार ने इसके लिए एक निर्धारित अनुमान के मुताबिक शिपमेंट को 10 मिलियन टन तक ही सीमित किया हुआ था. लेकिन कुछ समय बाद इसमें कुछ और छूट को बढ़ाते हुए भारत सरकार ने इसमें 1.2 मिलियन टन की वृद्धि की थी.
चीनी कीमतों के साथ इथेनॉल पर जोर
भारत सरकार घरेलू चीनी कीमतों को जहां एक ओर नियंत्रित करने के लिए निर्यात पर रोक को जारी किए हुए है, वहीं दूसरी ओर वह इथेनॉल के प्रयोग पर भी जोर बनाये हुए है. दरअसल सरकार धीरे-धीरे पेट्रोल और डीजल के प्रयोग के स्थान पर सौर ऊर्जा और इथेनॉल के प्रयोग को बढ़ाने पर विचार बना रही है. सरकार की इस पहल में महाराष्ट्र एक बड़ा हिस्सेदार है. इसका कारण यह है कि देश में गन्ने का सबसे ज्यादा उत्पादन इसी राज्य में होता है.
धीरे-धीरे बढ़ रहा इथेनॉल का प्रयोग
भारत सरकार वर्ष 2022-23 में 4.1 मिलियन टन इथेनॉल के उत्पादन को आगे बढ़ाती हुई वर्ष 2023-24 में लगभग 5.5 मिलियन टन चीनी को इथेनॉल में बदलने की राह पर है. आपको जानकारी के लिए बता दें कि इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने के रस, गुड़ और अनाज का प्रयोग किया जाता है. इस कारण इसके उत्पादन में सरकार को कई मुश्किलें भी आती हैं.