समय के साथ महिलाओं ने भी कृषि क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है. कृषि में महिलाओं का हमेशा से अहम योगदान रहा है और अब भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया की महिलाएं भी कृषि क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रही हैं. बात अगर विश्व की करें तो रोजगार के मामले में महिलाओं का एक तिहाई हिस्सा कृषि क्षेत्र पर निर्भर है.
जबकि उच्च-मध्यम और उच्च-आय वाले देशों में महिला किसानों का प्रतिशत 10% से कम है, वहीं निम्न-आय और निम्न-मध्यम-आय वाले देशों में महिलाओं के लिए कृषि सबसे महत्वपूर्ण रोजगार क्षेत्र है. फिर भी, पुरुषों की तुलना में महिला किसानों की भूमि तक पहुंच और स्वामित्व काफी कम है.
ऑस्ट्रेलिया में है महिला किसानों का दबदबा (Women farmers dominate in Australia)
महिलाओं की कृषि भूमिअधिकारों में हिस्सेदारी केवल 12.8% है क्योंकि महिलाओं को हमेशा से कम आंका जाता है. ऑस्ट्रेलिया में, कृषि में महिलाओं की भूमिका को पूरे इतिहास में समान रूप से मान्यता दी गई है और उनकी उपेक्षा की गई है. जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि 2016 में ऑस्ट्रेलिया के कृषि कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 32% थी. आज, वे ऑस्ट्रेलिया में वास्तविक कृषि आय का कम से कम 48% उत्पादन करती हैं.
कृषि और महिला किसान (Agriculture and women farmers)
ऑस्ट्रेलिया में महिला किसानों का कार्य सूरज उगने के साथ ही शुरू हो जाता है. सुबह आठ बजे तक वो जानवरों को खाना खिलाती हैं और इससे पहले मुर्गी के अंडे जमा कर लेती हैं. जलवायु नियंत्रण प्रणाली की जांच करने के साथ ही वह सफाई करती हैं. इसके बाद अपने गार्डन में जाने के साथ ही उसमें काम करना शुरू कर देती हैं.
इसे भी पढ़ें: Agriculture Machinery: ये 3 कृषि यंत्र महिला किसानों के लिए हैं बहुत उपयोगी
कृषि क्षेत्र में महिलाओं की जरुरत क्यों? (Why are women needed in agriculture?)
कृषि में कई महिलाओं ने पारंपरिक रूढ़ियों को खारिज करना शुरू कर दिया है और कृषि उद्योग के क्षेत्र में अपनी जगह बनायी हैं. सामाजिक और पर्यावरणीय न्याय से प्रेरित होकर, महिला किसान फल-फूल रही हैं, देश को दिखा रही हैं कि खेती को अधिक टिकाऊ अभ्यास में बदलना संभव और आकर्षक है.
कॉसमॉस मैगजीन के अनुसार, न्यू इंग्लैंड विश्वविद्यालय, एनएसडब्ल्यू में राजनीतिक अर्थव्यवस्था और रोजगार संबंधों की व्याख्याता डॉ लूसी न्यूज़ोम कहती हैं, “कृषि उद्यम में महिलाओं की हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका रही है, लेकिन उन्हें किसानों के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी.” उन्हें गैर-योगदान करने वाले भागीदारों के रूप में देखा गया. पर अब हालात में बदलाव हो रहा है.