खगोलशास्त्रियों को हमारे ग्रह पृथ्वी के बिल्कुल बगल में एक नया ब्लैकहोल मिला है. वैज्ञानिकों के अनुसार अब तक ब्रह्मांड में मिले ब्लैकहोल्स में, यह हमारे ग्रह के सबसे नजदीक है. यह पृथ्वी से सिर्फ 1610 प्रकाश वर्ष दूर है. एक प्रकाश वर्ष लगभग 94.6 खरब किलोमीटर का होता है. इससे पहल जो ब्लैकहोल धरती के सबसे नजदीक होने का तमगा रखता था, वह 3000 प्रकाश वर्ष दूर मोनोसेरोस तारामंडल में है.
पिछले हफ्ते वैज्ञानिकों ने बताया कि यह ब्लैकहोल हमारे सूर्य से 10 गुना ज्यादा बड़ा है. इसका पता उन तारों की गति से लगा, जो इसका चक्कर लगाते हैं. ये तारे इस ब्लैकहोल से उतनी ही दूर हैं, जितनी दूर पृथ्वी अपने सूर्य से है.
यूरोपियन स्पेस एजेंसी के अंतरिक्ष यान ने की खोज
हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के करीम अल-बादरी ने बताया कि इस ब्लैकहोल की खोज यूरोपीय स्पेस एजेंसी के गाया अंतरिक्ष यान ने की है. अल बादरी और उनकी टीम ने इस खोज के पुख्ता निष्कर्षों तक पहुंचने के लिए डेटा को अमेरिका के हवाई आईलैंड स्थित जेमिनी ऑब्जर्वेटरी भेजा. इस खोज को रॉयल एस्ट्रोनोमिकल सोसायटी के मासिक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.
इसलिए अद्भुत है नया ब्लैकहोल
अल्बर्ट आंइस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत के मुताबिक ब्लैकहोल सर्वाधिक घनत्व वाला क्षेत्र होता है. इससे होकर प्रकाश भी नहीं गुजर सकता. यही वजह है कि वे मनुष्य के लिए प्रकृति में घट रहीं सबसे उत्सुकता पैदा करने वाली घटना है.
ब्लैकहोल अपने आसपास की हर चीज को निगल जाते हैं, इसके बाद निगली गई चीजें कहां जाती हैं, इसकी अब तक कोई जानकारी नहीं है.
ब्लैकहोल की खोज करने वाले अंतरिक्ष यान के नाम पर हुआ नामकरण
रिसर्च से जुड़ी वैज्ञानिकों की टीम ने इस ब्लैकहोल की खोज करने वाले गाया अंतरिक्ष यान के नाम पर ही इसका नाम गाया बीएच-1 दिया है. यह ओफाशस तारामंडल में स्थित है. वैज्ञानिक अभी इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं दे पाएं हैं कि आकाश गंगा (Milky-Way) में यह ब्लैकहोल सिस्टम कैसे विकसित हुआ.
अब तक मिले 20 ब्लैकहोल में सबसे शांत है गाया बीएच-1
हमारी आकाश गंगा में अब तक 20 ब्लैकहोल मिल चुके हैं लेकिन गाया बीएच-1 की पृथ्वी से नजदीकी इन सब में इसे खास बनाती है. साथ ही ब्लैकहोल की प्रकृति भी निराली है. आमतौर पर माना जाता है कि ब्लैकहोल अपने आसपास के तारों को निगल जाते हैं. लेकिन बीएच-1 ऐसा नहीं कर रहा है. वैज्ञानिकों का मत है कि यह एकदम स्थिर और शांत खाली जगह है जहां कुछ न कुछ हो रहा है.
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ऐसे बनते हैं ब्लैकहोल
खगोलविदों के अनुसार इस बारे में अब तक कोई प्रमाण नहीं है कि ये ब्लैकहोल आते कहां से हैं. एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ हमारी आकाश गंगा में 10 करोड़ से ज्यादा ब्लैकहोल उपस्थित हैं. हालांकि यह सिर्फ एक अनुमान है. कई ब्लैकहोल सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह सूर्य से भी 100 गुना बड़े होते हैं.
ब्लैकहोल के बारे में वैज्ञानिकों का एक सिद्धांत यह है कि ये तारों से बनते हैं. तारे जब अपनी उम्र पूरी कर लेते हैं तो वे बुझ जाते हैं और ब्लैकहोल में बदल जाते हैं.