असम में राष्ट्रीय सिटिजन रिजस्टर ( एनआरसी) की आखिरी सूची को जारी कर दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस लिस्ट को आज जारी किया है जिसके बाद इस अंतिम सूची में 19 लाख 6 हजार 657 लोग इससे बाहर हो चुके है. इसमें वह लोग भी शामिल किए गए है जिन्होंने कोई दावा पेश नहीं किया था. इस लिस्ट के प्रकाशन के बाद राज्य में 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को वैध घोषित किया गया है. असम एनआरसी की अंतिम सूची को www.nrcassam.nic.in पर आसानी से देखा जा सकता है. बता दें कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन भारत में नागरिकता को वेरिफाई करने की सबसे बड़ी प्रक्रिया है. दरअसल एनआरसी का मकसद उन लोगों की पहचान करना है जो घुसपैठ तरीके से ( बांग्लादेश से) असम में आ गए थे और वही पर बस गए थे. गौरतलब है कि असम सरकार ने 30 जून 2018 को एनआरसी लिस्ट का दूसरा ड्राफ्ट जारी किया था.
2500 एनआरसी सेवा केंद्र बनाए गए
असम एनआरसी की यह लिस्ट इंटरनेट और राज्य के 2500 एनआरसी केंद्रों, 157 अंचल कार्यालयों और 33 जिले के उपायुक्त कार्यालयों पर उपलब्ध होगी. पूरे असम राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. एनआरसी की अंतिम लिस्ट के मद्देनजर हिंसा और सांप्रदायिक झड़पों की आशंका को देखते हुए असम सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. राज्य की राजधानी गुवाहाटी समेत 13 जिलों में धारा 144 लगा दी गई है.
विदेशी ट्रिब्यूनल में कर सकते है अपील
असम में जो भी लोग एनआरसी में अपना नाम आने से परेशान है वह विदेशी ट्रिब्यूनल में 120 दिन के भीतर अपनी नागरिकता को प्रमाणित करने के लिए अपील कर सकते है. असम सरकार का कहना है कि असम में बसे हुए किसी भी भारतीय को डरने की जरूरत नहीं है, राज्य सरकार उनके साथ है. जिन लोगों का नाम सूची में नहीं आया है सरकार उनकी चिंताओं पर ध्यान देगी. असम सरकार इसके लिए 400 विदेशी न्यायधिकरणों की स्थापना करेगी. ताकि उन लोगों के मामलों से निपटा जा सके जिनको इस सूची से बाहर रखा गया है. इन लोगों को तब तक हिरासत में नहीं लिया जाएगा जब तक विदेशी ट्रिब्यूनल अपना फैसला नहीं सुना देते है. संतुष्ट नहीं होने पर हाईकोर्ट में भी याचिका को दायर कर सकते है.
असम ऐसा राज्य जहां एनआरसी लागू
असम देश का एक अकेला राज्य है. जहां पर यह सिटिजन रजिस्टर है, इस तरह का पहला रजिस्ट्रेशन साल 1951 में किया गया था. वर्ष 2018 तक 3 साल में राज्य के 3.29 करोड़ लोगो ने नागरिकता साबित करने के लिए 6.5 करोड़ दस्तावेज केंद्र सरकार को भेजे. यह दस्तावेज करीब 500 ट्रकों के वजन के बराबर थे. इसमे 14 तरह के प्रमाण पत्र शामिल थे.