एपीडा ने साउथ एशिया बॉयोटेक्नोलॉजी सेंटर और डीबीटी-एसएबीसी बॉयोटेक किसान, डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी, आईसीएआर-डीएमएपीआर, कृषि विभाग और राजस्थान सरकार के आरएसएएमबी के साथ मिलकर “बेहतर कृषि तरीके, प्रसंस्करण और इसबगोल के मूल्य संवर्धन” पर वेबीनार का आयोजन किया. जिसका उद्देश्य राजस्थान के इसबगोल के निर्यातकों के लिए आपूर्ति-श्रृंखला मजबूत करना है.
इसबगोल अपने आप में एक खास उत्पाद
उद्घाटन भाषण के दौरान एपीडा के चेयरमैन डॉ. अंगामुत्थु ने कहा कि इसबगोल अपने आप में एक खास उत्पाद है. जो कि अपनी स्वास्थ्य संबंधी फायदे के लिए काफी लोकप्रिय है. इसबगोल की संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे विकसित देशों से काफी मांग है.
इसबगोल की नई प्रजातियों को विकसित करने की जरूरत
राजस्थान सरकार के कृषि और बागवानी विभाग के कमिश्नर डॉ. ओम प्रकाश ने कहा कि इसबगोल एक संवेदनशील फसल है और अगर फसल काटने के दौरान पाला पड़ जाता या बारिश हो जाती है, तो वह नुकसान हो जाती है. ऐसे में इसबगोल की ऐसी प्रजातियों को विकसित करने की जरूरत हैं, जो विपरीत मौसम में भी ज्यादा उत्पादकता दे सके. जिससे उद्योग को ज्यादा प्रसंस्कृत उत्पाद मिलेंगे.
वेबीनार के दौरान ये प्रमुख मुद्दे सामने आए
राजस्थान में किसान और एफपीओ को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने के कार्यक्रम की जरूरत है. जिससे कि इसबगोल का बीज उत्पादन और प्रबंधन बेहतर तरीके से हो सके और किसान बेहतर खेती के तरीकों का इस्तेमाल कर सकें.
इसबगोल एक संवेदनशील फसल है और अगर फसल काटने के दौरान पाला पड़ जाता या बारिश हो जाती है, तो वह नुकसान हो जाती है. ऐसे में इसबगोल की ऐसी प्रजातियों को विकसित करने की जरूरत हैं, जो विपरीत मौसम में भी ज्यादा उत्पादकता दे सके. जिससे उद्योग को ज्यादा प्रसंस्कृत उत्पाद मिलेंगे.
गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन, ज्यादा पैदावार देने वाली प्रजातियां और फसल को बीमारी से बचाने वाली तकनीकी की जानकारी किसानों को मिलना जरूरी.
विभिन्न प्रजातियों को विकसित करने, बीज सुधार और बीज में बदलाव के जरिए फसल को कीड़ों, फफूंद और जंगली घास से बचाव की जरूरत है.
अंतरफसलीय तकनीकी के जरिए फसल का उत्पादन बढ़ाना, कीटनाशकों के इस्तेमाल में समझदारी से फैसले लेना, जो कि अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरते हैं. जिससे कि बेहतर फसल का उत्पादन हो सके.
भारत सरकार द्वारा 10 हजार एफपीओ बनाने के फैसले की दिशा में कदम उठाते हुए एफपीओ आधारित खेती को बढ़ावा देना.
ऐसे एफपीओ की जरूरत है, जो इसबगोल के मूल्य संवर्धन, हैंडहोल्डिंग, बाजार के साथ जुड़ाव और तकनीकी भागीदारी में मदद कर सकें.
युवाओं को प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने, जैविक उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना.
इसबगोल उत्पादों में मूल्य संवर्धन कर उनकी मांग बढ़ाना