आजकल किसानी के साथ पशुपालन (Animal Husbandry) भी जोरो-शोरो से ट्रेंड में हैं, लेकिन बहुत से ऐसे लोग है, जिन्हें दूध सप्लाई (Milk Supply) के लिए दिक्कत आती है. इसी तर्ज के मद्देनज़र राजस्थान (Rajasthan) में दूध सप्लाई करने वाले किसानों को अनुदान (Subsidy to farmers) देने का बड़ा ऐलान किया गया है, जिससे उन्हें दिक्कतों का सामना ना करना पड़ें.
दूध उत्पादकों को मिलेगा बढ़ावा (Milk producers will get a boost)
दरअसल, एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि राजस्थान सरकार ने डेयरी सहकारी समितियों (Dairy Cooperatives) के लिए मदद करने की घोषणा की है. जी हां, राजस्थान में दूध की आपूर्ति करने वाले किसानों को 2 रुपये प्रति लीटर का अनुदान देने का आदेश जारी किया गया है.
राजस्थान सरकार की पहल (Rajasthan government initiative)
बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने हाल ही में अनुदान की घोषणा की है. यह आदेश एक फरवरी से लागू होगा. राज्य सरकार का ऐसा कहना है कि गौपालन विभाग द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए आवश्यक प्रावधान किए गए हैं.
सरकार के अनुसार इस निर्णय से राजस्थान सहकारी डेयरी महासंघ के तहत 11,500 दुग्ध उत्पादक समिति से जुड़े करीब पांच लाख डेयरी किसानों को लाभ होगा.
डेयरी फार्मिंग की मुख्य विशेषताएं (Features of Dairy Farming)
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इसमें उच्च नस्ल के दुधारू पशुओं को वैज्ञानिक तरीके से पाला जाता है.
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यह अत्यधिक पूंजी प्रधान पशुपालन क्षेत्र है.
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डेयरी फार्मिंग मुख्य रूप से कई लोगों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
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Dairy Farming मुख्य रूप से देश के कुछ समुदायों और क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में योगदान देती है.
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मुख्य लाभ यह है कि बाजार में अच्छी दर से दूध बेचा जा सकता है.
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दूध की मांग में लगातार डिमांड बढ़ती रहती है.
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अन्य उद्योगों के उत्पादों की तुलना में, दूध का व्यवसाय आसान है.
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डेयरी फार्मिंग ही एकमात्र ऐसा व्यवसाय है जहां हर महीने आय की गारंटी दी जा सकती है.
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राजस्थान डेयरी बाजार का वर्गीकरण (Classification of Rajasthan Dairy Market)
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Rajasthan एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां दुग्ध उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं. डेयरी फार्मिंग भारत के सबसे बड़े कृषि उद्योगों में से एक है और भारत में कई डेयरी फार्मिंग ऋण उपलब्ध भी हैं.
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भारत में राजस्थान दुग्ध उत्पादन में दूसरे स्थान पर है.
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डेयरी व्यवसाय राजस्थान में शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों के पास काफी प्रचलित है.
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डेयरी सहकारी समितियों ने ग्रामीण परिवारों को दूध विपणन का एक संगठित नेटवर्क प्रदान किया है और स्वास्थ्य सेवाओं और फ़ीड इनपुट का प्रावधान भी प्रदान किया है.
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राजस्थान में किसानों को उपभोक्ता मूल्य का 60 से 70% हिस्सा डेयरी उत्पादों से मिलता है. राजस्थान में उत्पन्न होने वाली पशुधन नस्लें जैसे थारपारकर, कांकरेज और गिर मवेशी है.