GFBN Story: गन्ने और केले की स्मार्ट खेती से हिमांशु नाथ ने रचा सफलता का इतिहास, सालाना टर्नओवर 1 करोड़ से ज्यादा! GFBN Story: लाख की खेती से मिलन सिंह विश्वकर्मा को मिली बड़ी पहचान, सालाना कमा रहे हैं भारी मुनाफा! GFBN Story: रिटायरमेंट के बाद इंजीनियर शाह नवाज खान ने शुरू की नींबू की खेती, अब कमा रहे हैं शानदार मुनाफा! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 24 March, 2020 11:48 PM IST
Quail Farming

कम लागत और कम मेहनत में अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो आपके लिए बटेर पालन एक अच्छा व्यवसाय साबित हो सकता है. इसके लिए अधिक जगह की भी जरूरत नहीं पड़ती है. ध्यान रहे कि मुर्गी पालन, और बतख पालन के बाद व्यावसायिक तौर पर तीसरे स्थान पर बटेर पालन का काम आता है.

ऐसे आया भारत में बटेर (This is how quail came to India)

भारत में जापानी बटेर को 70 के दशक में अमेरिका से लाया गया था. इसके लिए मुख्य तौर पर पिंजड़े और बिछावन की जरूरत पड़ती है. इसके रहने की जगह हवादार और रोशनीदार होनी चाहिए और उसमें पानी की व्यवस्था भी होनी चाहिए.

ध्यान रहे कि बटेर अधिक गर्म वाले जगह पर भी रह सकता है. एक व्यस्क बटेर के विकास के लिए उसे 200 वर्ग सेमी जगह में रखना चाहिए. सूर्य की सीधी रोशनी इनके लिए खतरनाक है, इसलिए इन्हें सूर्य की सीधी रोशनी से बचाएं. हालांकि इसके चूज़ों को पहले दो सप्ताह तक प्रकाश की जरूरत होती है.

बटेर का भोजन (Quail meal)

बटेर को भोजन उचित मात्रा में मिलना चाहिए. उचित आहार से ही इनका विकास हो पाएगा और इनसे अच्छा मांस प्राप्त होगा. बटेर के चूजों को करीब 6 से 8 प्रतिशत शीरे का घोल 3 से 4 दिनों के अंतर पर देना चाहिए.

बटेर की लिंग पहचान (Quail gender identity)

बटेर पालकों को इसके लिंग का ज्ञान होना जरूरी है. इसलिए अगर आप बटेर पालने का मन बना रहे हैं तो हम इसके लिंग की पहचान के लिए आपको कुछ आसान बातें बता रहे हैं.

 यह खबर भी पढ़ें : मुर्गियों से फैल रही एक महामारी, जानिए कैसे?

नर के गर्दन के नीचे के पंखों का रंग लाल, भूरा या धूसर हो सकता है. जबकि मादा की गर्दन के नीचे के पंखों का रंग हल्का लाल या काला धब्बेदार हो सकता है. भार की तुलना करके भी लिंग की पहचान की जा सकती है. मादा बटेरों के शरीर का भार नर बटेर से 15 से 20 प्रतिशत अधिक होता है.

English Summary: All you need to know about Quail Farming and profit know more about it
Published on: 24 March 2020, 11:50 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now