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Updated on: 21 November, 2022 5:10 PM IST
इन फसलों की करें बुवाई, होगी अच्छी पैदावार

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मध्य प्रदेश के किसान भाइयों के लिए Agromet Advisory जारी कर दी है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह जानकारी वर्तमान समय को ध्यान में रखते हुए साझा की गई है, ताकि किसानों को अधिक पैदावार प्राप्त हो सके.

रबी फसलों की तैयारी:-

मौसम विभाग के द्वारा मध्य प्रदेश के किसान भाइयों को सलाह दी गई है कि वह अगले 5 दिनों में रबी फसलों की बुवाई शुरू दें, ताकि समय रहते फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सके.

गेहूँ: -

इस समय के तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान अपने खेत में गेहूं की उन्नत किस्मों को लगाएं. सिंचित स्थिति के लिए अनुशंसित किस्में एम.पी. 1203, एम.पी. 3382, जीडब्ल्यू 322, जीडब्ल्यू 366, एच.आई. 1544, एच.आई. 8759, एमपीओ 1215.

प्रतिबंधित सिंचाई की स्थिति के लिए अनुशंसित किस्में एम.पी. 3288, एम.पी. 3173, एम.पी.1202.

असिंचित स्थिति के लिए अनुशंसित किस्में J.W.S. – 17, म.प्र. 3020, HI 8627

देर से बोई जाने वाली स्थिति के लिए अनुशंसित किस्में Lok 1, JW 4010, M.P. 1202

ध्यान रहे कि बीज जनित रोगों की रोकथाम के लिए बीज उपचार आवश्यक है, बीज को निम्न से उपचारित जरूर करें. इसके लिए कार्बोक्सिन (विटावैक्स 75 डब्ल्यूपी) या बेनोमिल (बेनलेट 50 डब्ल्यूपी) 1.5-2.5 या थिरम 2.5-3 ग्राम प्रति किलो बीज.

दीमक के नियंत्रण के लिए बीज को क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी से उपचारित करें.

400 मिली प्रति क्विंटल बीज उसके बाद पी.एस.बी. बीजोपचार 5-10 ग्राम एजोटोबैक्टर एवं 5 ग्राम से देना चाहिए.

सरसों:-

मौसम विभाग के अनुसार तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सरसों की फसल की बुवाई पूरी करने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा अगले पांच दिनों के दौरान मौसम की स्थिति को देखते हुए  किसानों को सिंचाई करने की सलाह दी गई है. यदि सरसों की फसल में पर्याप्त नमी उपलब्ध हो तो नाइट्रोजन का प्रसारण करें और साथ ही इसमें जरूरत के मुताबिक खाद भी दी जानी चाहिए.

चना:-

यह समय चने की बुवाई के लिए अनुकूल होता है. इसलिए किसानों को अधिक लाभ के लिए अभी चना बोने की सलाह भी दी जाती है.

बीज जनित रोगों की रोकथाम के लिए बीज उपचार आवश्यक है, इसलिए बीज से उपचारित जरूर करें.

ट्राइकोडर्मा विरिडी 5 ग्राम/किग्रा बीज या थीरम 3 ग्राम/किलोग्राम बीज और उसके बाद बीज उपचार 5 ग्राम राइजोबियम कल्चर एवं 5 ग्राम पी.एस.बी. की मात्रा मिलाकर करनी चाहिए.

चना जेजी की अनुशंसित किस्में:  12, जेजी. 14, जेजी. 218, विजय, जेजी. 322, JG.11, JG. 130,B G D 72, Zaki -9218, RVG-201, RVG-202, RVG-203 निम्न लोकप्रिय किस्में हैं.

यदि प्रत्येक वर्ष मुरझाना और कॉलर सड़न रोग का बार-बार संक्रमण होता है तो किसानों को फसल चक्र अपनाने की सलाह दी जाती है. इसके लिए रबी सीजन में गेहूं, कुसुम और अलसी की फसलें लगाई जा सकती हैं.

कपास:-

कपास के खेतों में चूसक कीट का संक्रमण देखा गया है. इसलिए किसानों को फसल में इमडाक्लोरोप्रिड 0.5 मिली या इमडाक्लोरोप्रिड + एसिफाइड 1 ग्राम/लीटर पानी का मिश्रण कर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.

गन्ना:-

किसान इस समय शरदकालीन गन्ने की बुवाई की तैयारी करें.

गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम /लीटर पानी का छिड़काव करें और साथ ही · गन्ने में किसी भी स्तर पर प्रभावी छिड़काव के लिए ऑर्चर्ड स्प्रेयर का उपयोग करें.

उद्यानिकी फसलें:-

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे जल्दी बोई जाने वाली हरी सब्जियों जैसे- लाल, मेथी, पालक, सरसों, धनिया और शलजम का चयन करें. इसके अलावा जो सब्जियां पिछले महीने में रोपी गई हैं उन्हें इस समय नाइट्रोजन युक्त उर्वरक दिया जाना चाहिए.

बैंगन की फसल में फल और तना छेदक कीट को नियंत्रित करने के लिए नोवालुरोन @ 10 मि.ली. प्रति पंप छिड़काव करें.

वर्तमान मौसम की स्थिति में मिर्च में वायरस से प्रभावित फसल की रोगिंग की जानी चाहिए.

वेक्टर को नियंत्रित करने के लिए इमेडाक्लोरप्रिड @ 0.3 मिली प्रति लीटर पानी की सलाह दी जाती है.

English Summary: Agromet advisory issued for Madhya Pradesh farmers, this time is favorable for these crops
Published on: 21 November 2022, 05:15 PM IST

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