केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि क्षेत्र को साथ लेकर ही आत्मनिर्भर व डिजिटल भारत का सपना साकार हो सकेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में देश को राह दिखाई है, जिस पर चलते हुए कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण के लिए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने ठोस कदम आगे बढ़ाए हैं.
प्रधानमंत्री के दृढ़ संकल्प से खेती में स्प्रिट पैदा हुई व किसानों की आय बढ़ाने के लिए 75 हजार करोड़ रुपए सालाना की ऐतिहासिक प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम- किसान) सहित कई योजनाओं का पारदर्शिता के साथ क्रियान्वयन किया जा रहा है.
उक्त बातें Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar ने कृषि मंत्रालय के साथ चार संस्थानों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान कही.
चार संस्थानों के साथ किया गया एमओयू
गौरतलब है कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का जिन चार संस्थानों के साथ ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ है उसमें (i) पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (ii) अमेजॅन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) (iii) ईएसआरआई इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं (iv) एग्रीबाजार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं. इन संगठनों के साथ एक वर्ष की अवधि के भीतर आधार के रूप में किसान डेटाबेस का उपयोग करके पायलट परियोजना के लिए एमओयू किया गया है.
किसान सेवा के लिए हुआ है एमओयू
‘नेशनल एग्रीकल्चर जियो हब’ की स्थापना और प्रारम्भ हेतु ईएसआरआई के साथ, कृषि मूल्य श्रृंखला में डिजिटल सेवाओं और डिजिटल कृषि से संबंधित इनोवेटिव इको सिस्टम के सृजन के लिए अमेजन वेब सर्विसेज के साथ, डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए 3 राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान) में पायलट परियोजना के लिए कृषि विभाग के साथ सहयोग करने हेतु एग्रीबाजार के साथ तथा 3 जिलों (हरिद्वार- उत्तराखंड, हमीरपुर- उत्तर प्रदेश एवं मुरैना- मध्य प्रदेश) में कृषि प्रबंधन और किसान सेवा के लिए पतंजलि के साथ एमओयू हुआ है.
डिजिटल डेटाबेस से किसानों के भूमि रिकॉर्ड को जोड़ा जाएगा
कृषि में डिजिटलीकरण के महत्व को स्वीकार करते हुए विभाग एक संघीय किसान डेटाबेस तैयार कर रहा है व इसके आधार पर विभिन्न सेवाओं का सृजन कर रहा है, ताकि कृषि के डिजिटल इको सिस्टम का निर्माण किया जा सके. इस डेटाबेस को देशभर के किसानों के भूमि रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा और यूनिक किसान आईडी सृजित की जाएगी.
किसानों के लिए एकीकृत डेटाबेस के तहत केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के सभी लाभों व सहयोगों की जानकारी इस डेटाबेस में रखी जा सकती है और यह भविष्य में किसानों को लाभ प्रदान करने के लिए जानकारी प्राप्त करने का स्रोत हो सकता है. अभी तक लगभग 5 करोड़ किसानों के विवरणों का डेटाबेस तैयार हो चुका है, आशा है कि जल्द ही समस्त भूमिधारी किसानों को जोड़कर डेटाबेस पूरा कर लिया जाएगा.