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Updated on: 18 August, 2022 5:29 PM IST
August Advisory for UP Farmers

यूपी के किसान भाइयों व बहनों के लिए अगस्त माह की एग्रोमेट एडवाइजरी (August Agriculture Advisory) जारी की गई है. यह एडवाइजरी जिले और जगह के हिसाब से कृषकों के लिए तैयार की गई है ताकि उन्हें यह पता चल सके कि इस माह के अंत और सितंबर के शुरुआती महीने में उन्हें कौनसे कृषि कार्यों पर ध्यान देना है.

जिला: फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, चित्रकूट और कौशांबी

  • धान की फसल में वर्षा न होने पर 6-7 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें.

  • मक्के की फसल में बेहतर उपज के लिए फूल आने के समय पर्याप्त नमी बनाए रखें.

  • हरा चना और उड़द फसल बोयें.

  • 12-15 किग्रा प्रति हेक्टेयर और बुवाई से पहले बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें.

  • सोयाबीन की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए अलाक्लोर50 ईसी 41tr/हेक्टेयर को 1000 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

  • हरे चारे के रूप में लोबिया, ज्वार, मक्का, बाजरा और ग्वार की बुवाई शुरू करें.

  • बरसात के मौसम में चौलाई की बुवाई इस महीने में 2-3 किलो/हेक्टेयर की दर से करें.

  • शिमला मिर्च, मिर्च और फूलगोभी की बुवाई कर सकते हैं.

  • आम, अमरूद, लीची, आंवला, कटहल, नींबू, बेर, केला और पपीते के नए बाग लगाने का समय आ गया है.

  • एफिड्स से बचाव के लिए आंवला के बाग में मोनोक्रोटोफॉस 0.04% का छिड़काव करें.

जिला: बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज

  • मक्के की फसल में पहली टॉप ड्रेसिंग बुवाई के 30 से 35 दिन बाद और दूसरी टॉप ड्रेसिंग बुवाई के 40 से 45 दिन बाद करनी चाहिए.

  • यूरिया की टॉप ड्रेसिंग 60 से 70 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से देनी चाहिए.

  • धान से खरपतवार हटा दें और ऊपर से ड्रेसिंग करते समय खेत में 2 से 3 सेमी से अधिक पानी नहीं होना चाहिए.

  • दलहनी फसल में जल निकासी की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए.

  • बैंगन, मिर्च, टमाटर, अगेती फूलगोभी, खरीफ प्याज, लोबिया, पालक, ऐमारैंथस और भिंडी की बुवाई के लिए खेत की तैयारी करें.

  • हरे चारे के रूप में लोबिया, ज्वार, मक्का, बाजरा और ग्वार की बुवाई शुरू करें.

  • आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बागों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.

जिला: जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, बांदा और हमीरपुर

  • काला चना की बुवाई उचित नमी पर शुरू करनी चाहिए.

  • इस समय मूंग, मटर और तिल की बुवाई करें.

  • मूंगफली की बुवाई के बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए.

  • बैंगन, मिर्च और अगेती फूलगोभी की रोपाई यथाशीघ्र कर लेनी चाहिए.

  • नींबू में साइट्रस कैंकर रोग को नियंत्रित करने के लिए किसानों को 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से केपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.

  • सब्जी नर्सरी में उचित जल निकासी बनाए रखी जानी चाहिए.

  • आम, अमरूद, लीची, नींबू, जामुन, बेर, केला और पपीता आदि के बागों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.

जिला: बाराबंकी, सुल्तानपुर, अमेठी, फैजाबाद, बस्ती, रायबरेली, अंबेडकरनगर, संत कबीरनगर, गोरखपुर, देवरिया और बलिया

  • बेहतर फसल स्थापना और अधिक उपज के लिए समय पर खरपतवार प्रबंधन आवश्यक है.

  • जायद की फसल की बुवाई के बाद इसकी अच्छी तरह से सिंचाई करें क्योंकि ये फसलें विकास के चरण में हैं.

  • तिल के बीज की बुवाई यथाशीघ्र पूर्ण कर लें.

  • प्याज के बीज वाली जगह से खरपतवार हटा दें.

  • लीची, आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बागों को आवश्यकतानुसार रोपें और सिंचाई करें.

  • केला लगाने के लिए मौसम अनुकूल है.

  • किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पशु चिकित्सक के परामर्श से पशुधन और मुर्गी के एंडो और एक्टो परजीवी को नियंत्रित करें.

  • दुधारू पशुओं को हरा चारा (50:50) के अनुपात में सूखा चारा खिलाएं और प्रतिदिन 20-30 ग्राम खनिज मिश्रण और नमक दें.

जिला: कन्नौज, हाथरस, मथुरा, आगरा, एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, कानपुर-ग्रामीण, कानपुर-शहरी, उन्नाव, लखनऊ, सीतापुर, हरदोई, खीरी और कांशीराम नगर

  • यदि धान में खैरा रोग दिखाई दे तो इसके नियंत्रण के लिए 20-25 किग्रा0 जिंक सल्फेट तथा 2.5 किग्रा चूने को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

  • धान की रोपाई के 25 से 30 दिन बाद यूरिया की टॉप ड्रेसिंग 50 से 60 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से करें.

  • मक्का की फसल में दूसरी निराई 35-40 दिनों के बाद करें.

  • मक्की की फसल में दूसरी टॉप ड्रेसिंग बुवाई के 40 से 45 दिन बाद 60 से 70 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से यूरिया की टॉप ड्रेसिंग साफ आसमान होनी चाहिए.

  • जायद की फसल की बुवाई के बाद इसकी अच्छी तरह से सिंचाई करें क्योंकि ये फसलें विकास के चरण में हैं.

  • वर्षा न होने की स्थिति में मूंगफली की फसलों में निराई-गुड़ाई करके प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम जिप्सम लगाकर हल्की निराई-गुड़ाई करें.

  • वर्षा न होने की स्थिति में तिल की फसल में बुवाई के 30-35 दिन बाद दूसरी निराई-गुड़ाई करें.

जिला: मेरठ, पीलीभीत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, बुलंदशहर, मुरादाबाद, ज्योतिबा फुले नगर, बिजनौर, बदायूं, बरेली, रामपुर, शाहजहांपुर, फर्रुखाबाद, शामली, संभल और हापुड़

  • खेत में पानी की उचित व्यवस्था करें और रोपाई करनी चाहिए.

  • रोपित फसल की सिंचाई करें.

  • हरे चारे के लिए लोबिया, ज्वार, मक्का, बाजरा की बुवाई करें.

  • खड़ी फसलों में 10-12 दिनों के अंतराल पर शाम को ही हल्की सिंचाई करनी चाहिए और दोपहर में सिंचाई का काम नहीं करना चाहिए.

  • अरहर की फसल (लाल चना/अरहर) में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था करें.

  • वर्षा न होने की स्थिति में सिंचाई करनी चाहिए. गन्ने को गिरने से बचाने के लिए सबसे पहले फसल को बांधें.

  • सब्जियों में भिंडी और अरबी की पूरी बुवाई करें.

  • लौकी की सब्जियों में मचान बना लें.

  • सभी सब्जियों में उचित जल निकासी प्रदान करें.

  • आम, अमरूद, नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बागों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.

जिला: वाराणसी, आजमगढ़, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र, मिर्जापुर, संत रविदासनगर, जौनपुर और मऊ

  • खेत में पानी की उचित व्यवस्था करें और रोपाई करनी चाहिए.

  • रोपित फसल की सिंचाई करें.

  • भारी वर्षा की स्थिति में मक्का के खेत में अतिरिक्त वर्षा जल को हटा दें.

  • जायद की फसल की बुवाई के बाद इसकी अच्छी तरह से सिंचाई करें क्योंकि ये फसलें विकास के चरण में हैं.

  • अरहर की फसल (लाल चना/अरहर) में पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था करें.

  • बैंगन और भिंडी की बुवाई करें.

  • भारी वर्षा की स्थिति में ज्वार के खेत में अतिरिक्त वर्षा जल को हटा दें.

  • आवश्यकता के अनुसार आम, अमरूद और नींबू, अंगूर, बेर और पपीते के बाग की सिंचाई करें.

English Summary: Agriculture Advisory, UP farmers should settle their work in the field soon, then sow these crops soon
Published on: 18 August 2022, 04:55 PM IST

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