मध्य प्रदेश सरकार राज्य में कृषि की सुविधाओं में इजाफा करने के साथ -साथ किसानों के फसलों के क्रय-विक्रयों को और आसान बनाने के लिए 12 फसलों के लिए विशेष कृषि जोन को बनाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए सभी जिलों के उपसंचालकों को विशेष कृषि प्रक्षेत्र स्थापना करने के लिए कहा गया है. इन सभी कृषि प्रक्षेत्रों का निर्धारण राज्य में कृषि क्षेत्र की जलवायु के आधार पर किया जा रहा है. राज्य के सतना जिले में अरहर की फसल के लिए एग्रीकल्चर जोन बनाया जा रहा है. इन सभी एग्रीकल्चर प्रक्षेत्रों में मंडी शुल्क फ्री रहेगा. सरकार के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार किसानों का फसलों का उत्पादन और उन सभी की आमदनी के लिए प्रदेश को 12 कृषि जलवायु प्रक्षेत्रों में बांटा गया है. इसमें कई तरह के संसाधनों और उत्पादन को अधिकतम करने की तैयारी की जा रही है. इसके तहत आवश्यकता और स्थान आधारित विशिष्ट तकनीक को अपना कर किसानों का फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ ही उनकी फसलों को उचित बाजार मुहैया करवाएगा.
करीब 500 हैक्टेयर का होगा प्रक्षेत्र
बताया गया है कि विशेष तरह के कृषि जोन की स्थापना के लिए प्रदेश के सभी जिलों में 200 से 500 हेक्टेयर के प्रक्षेत्र को चिन्हित किया गया है. यहां पर सभी किसानों को को एक ही जगह पर कृषि के उपकरणों जैसे कि सिंचाई, बीजोपचार, बीज भंडारण की सुविधा करने में काफी ज्यादा मदद मिलेगी. साथ ही देश की विभिन्न मंडियों से लिंक किए जाने के बाद निर्यात जैसी सुविधाओं को भी जोड़ने का काम किया जा रहा है.
स्पेशल एग्रीकल्चर जोन
राज्य में धान की फसल अच्छे से हो उसके लिए कई तरह के एग्रीकल्चर जोन को चुना गया है. इसमें मुख्य रूप से बालाघाट, जबलपुर, रीवा, सतना, रायसेन आदि शामिल है. सोयाबीन के लिए मंदसौर, नीमच ,उज्जैन, शाजापुर, देवास, विदिशा, भोपाल, हरदा को शामिल किया गया है. चना के खेती के लिए सागर, उज्जैन, देवास और शाजापुर को जोड़ा गया है. इसके अलावा गन्ने के एग्रीकल्चर जोन नरसिंहपुर, होशागांबाद, बैतूल, ग्वालियर को चुना गया है. जबकि जैविक खेती के लिए डिंडौरी, मंडला, शहडोल. अनुपपुर, सीधी और संगरौली आदि शामिल है. हरी मटर के लिए जबलपुर, नरसिंहपुर और कटनी में विशेष कृषि क्षेत्र को प्रक्षेत्र को स्थापित किया जाता है.