देश के कई हिस्सों में काजू की खेती की जाती है. इसमें छत्तीगढ़ भी शामिल है. इस राज्य के बस्तर और जशपुर जिले के पठार में काजू की खेती कई सालों से की जा रही है. मगर किसानों को इसकी खेती से अधिक लाभ नहीं मिल पाता है. मगर बस्तर कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का प्रयास है कि जल्द ही काजू उत्पादक किसानों की आमदनी जल्द ही दोगुनी की जाए. इसके लिए काजू के हाइब्रिड पौधे तैयार किए जा रहे हैं, ताकि काजू के कम रकबे में अधिक उत्पादन किया जा सके. बता दें कि कृषि महाविद्यालय में संचालित अखिल भारतीय काजू अनुसंधान परियोजना में हाईब्रिड पौधे तैयार हो रहे हैं. खास बात है कि राज्य में ऐसा पहली बार हो रहा है.
7 साल में इंदिरा काजू- 1 बीज किया विकसित
इससे पहले कृषि वैज्ञानिकों ने इंदिरा काजू- 1 नाम का बीज तैयार किया था. इस बीज को तैयार करने में 7 साल की मेहनत लगी थी. यह बीज करीब डेढ़ गुना मोटा होता है. इस साल प्रोत्साहित करते हुए करीब 150 से ज्यादा किसानों को बीज दिया गया है. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, जो काजू के हाइब्रिड पौधे तैयार किए जा रहे हैं, उनसे तैयार फल से बीज का भी उत्पादन किया जाएगा. इस काम में करीब 5 साल लग जाएंगे.
12 हेक्टेयर में होती है खेती
इस समय काजू की खेती करीब 12 हजार हेक्टेयर में की जाती है. अधिकतर किसान काजू के पुरानी किस्मों की बुवाई करते हैं, जिनका उत्पादन काफी कम होता है. यह काफी लंबे हैं, जिसका किसानों को कोई फायदा नहीं मिलता है.
करीब 20 फीट के गुच्छे में लगेंगे फल
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, नई हाईब्रिड पौधे की ऊंचाई करीब 20 फीट की होगी. इसको फल झुंड में फलेंगे. खास बात है कि पौधे की चौड़ाई और ऊंचाई कम होने की वजह से किसान कम जगह में अधिक पौधे लगा पाएंगे. किसानों को बड़े स्तर पर इसका लाभ मिल पाएगा. बता दें कि बस्तर के किसान कई सालों से काजू की उच्च किस्म के पौधे की मांग कर रहे हैं उन्हें समय-समय पर काजू की नई किस्म के पौधे दिए गए हैं, लेकिन किसानों को उनसे अधिक लाभ मिलने की उम्मीद नहीं होता है.