जैसा की हम सभी जानते हैं कि भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है, लेकिन आज भी किसान कई ऐसे विवादों में फंस जाते हैं जिससे निज़ात पाने में अधिक समय ख़राब होता है. और ऐसा ही एक विवाद है "खेती योग्य ज़मीन की क़ीमत" (Cost of Agriculture Land) , जिसमें हमारे किसान भाइयों को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि आज तक कोई ऐसा तरीका नहीं बना था जिससे किसान ज़मीन की सही क़ीमत का पता कर पाएं.
कृषि-भूमि मूल्य सूचकांक (ALPI)
इसी संदर्भ में भारत में पहला कृषि-भूमि मूल्य सूचकांक (Agri-land Price Index) लॉन्च किया गया है, जो ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भूमि की कीमतों को बेंचमार्क करेगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें की यह भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (IIMA) में मिश्रा सेंटर फॉर फाइनेंशियल मार्केट्स एंड इकोनॉमी द्वारा विकसित किया गया है. यह किसानों को उनकी ज़मीन की असली क़ीमत बताने में सहायता करेगा.
आईआईएमए में रियल एस्टेट फाइनेंस के एसोसिएट प्रोफेसर प्रशांत दास और एसफार्म्सइंडिया के कामेश मुपराजू ने कहा कि "सूचकांक नीति निर्माताओं, स्थानीय सरकारों, पर्यावरणविदों, निवेशकों, रियल एस्टेट डेवलपर्स और फाइनेंसरों के लिए उपयोगी होगा". बता दें कि SFarmsIndia खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ने वाले बाजार में कृषि-डोमेन विशिष्ट एआई क्षमताओं के उद्देश्य से डेटा वेयरहाउसिंग और खनन का काम करता है.
सूचकांक कैसे करेगा काम (How Agri Land Price Index Works)
किसानों को ज़मीन की असल कीमत बताने के लिए इस डिवाइस में अभी कुछ फैक्टर्स ही डालें गए हैं. इसमें नजदीक कस्बे की दूरी, नजदीक एयरपोर्ट की दूरी और इंटरनेशनल एयरपोर्ट की दूरी को प्राथमिकता है. यदि भूमि के पास सिंचाई की सुविधा हुई तो इसकी कीमत में 15 फीसद बढ़त होगी. इसके अतिरिक्त इंटरनेशनल एयरपोर्ट की संभावना में इसमें 20 फीसद की बढ़त हो सकती है. वहीं कस्बे से दूरी के हिसाब से ज़मीन पर हर किलोमीटर 0.5 फीसद का प्रभाव पड़ेगा.
दास ने ALPI के लॉन्च इवेंट में कहा कि "लगभग 80 प्रतिशत कृषि-परिवार स्व-नियोजित हैं और उनमें से 70 प्रतिशत फसल उत्पादन में हैं. कृषि भूमि पर जब खेती की जाती है तो अक्सर बहुत कम होती है लेकिन निवेश की वृद्धि कहीं अधिक होती है. और कई कारणों से, अधिक से अधिक कृषि भूमि बेची जा रही है और हम सिर्फ इस क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिशों में जुटे हैं"
वर्तमान में, इस सूचकांक (ALPI) के पास उपलब्ध डेटा केवल छह राज्यों का है जिसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं. दास ने आगे कहा कि "हम जल्द ही अधिक सटीकता लाने में सक्षम होंगे और क्षेत्रीय स्तर पर अधिक बारीक सूचकांक विकसित करेंगे".
आखिर में हम आपको बता दें कि, ALPI को भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (IIM-A) की वेबसाइट पर मिश्रा सेंटर फॉर फाइनेंशियल मार्केट्स एंड इकोनॉमी के हिस्से के रूप में होस्ट किया जाएगा.