जैसा कि हम सब जानते ही हैं कि इस बार उत्तर भारत में बरसात बहुत कम हुई है और इसी वजह से धान की रोपाई भी कम हुई है. ऐसे में भारत में चावल का उत्पादन कम हो सकता है.
भारत है सबसे बड़ा चावल निर्यातक
गौरतलब है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है और चावल के लिए सारी दुनिया भारत की तरफ देखती है. ऐसे में यदि भारत में उत्पादन कम हुआ है तो स्वाभाविक ही है कि भारत निर्यात भी कम ही कर पाएगा और बढ़े हुए दाम परेशानी को बढ़ा देंगे .
दुनिया भर में होगा खाद्यान्न संकट
भारत आज भी विश्व भर की अर्थव्यवस्था पर अच्छा खासा प्रभाव डालने में सक्षम है. यह हमने गेहूं के मामले में देख लिया था जब भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी, तो पूरी दुनिया में खाद्यान्न का संकट उभर कर सामने आया था. अब चावल का कम उत्पादन होने की स्थिति में भारत द्वारा किया जाने वाला कम निर्यात दुनिया भर में मुश्किलें पैदा कर देगा.
कम बरसात के कारण कम हुई धान की रोपाई
बढ़ती महंगाई और लगातार चल रहे खाद्यान्न संकट के बीच कम बारिश के कारण धान की फसल में 13 फ़ीसदी की कमी आई है. देश के कुल उत्पादन का लगभग 25% उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल में होता है और इस बार इन प्रदेशों में भी धान की रोपाई काफी कम की गई है.
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अब और बढ़ेगी महंगाई
जानकार मानते हैं कि धान का कम उत्पादन होने से महंगाई तो बढ़ेगी ही, हो सकता है धान के निर्यात पर भी प्रतिबंध लग जाए, क्योंकि भारत पहले अपने देश के लोगों की जरूरत पूरी करना चाहेगा. आपको बता दें कि भारत दुनिया भर का 40 फ़ीसदी चावल निर्यात करता है यानी भारत में आई उत्पादन की कमी दुनिया भर में खाद्यान्न की समस्याएं उत्पन्न कर सकती है.
पड़ोसी देशों में मच गई है खलबली
पश्चिम बंगाल ओडिशा और छत्तीसगढ़ में हुई कम बरसात धान के उत्पादन में कमी तो लेकर आई ही है. साथ ही बांग्लादेश जैसे चावल के आयतकदेशों में खलबली मच गई है. दो महीने पहले जहां चावल के निर्यात की कीमत 365 डॉलर प्रति टन थी, वहीं यह बढ़कर 400 डॉलर प्रति टन हो गई है. आगे हालात और खराब होने के आसार हैं
रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया भर में वैसे ही गेहूं की काफी कमी हो गई थी और देशों को उम्मीद थी कि चावल से यह भरपाई की जा सकेगी लेकिन भारत के कई हिस्सों में मानसून के कमजोर आगमन की वजह से धान की फसल में खासी कमी आई है हालांकि विशेषज्ञों को अब भी उम्मीद है कि यदि बरसात हो जाए तो धान की रोपाई में बढ़ोतरी हो सकती है.