देश के किसान भाइयों को अधिक लाभ दिलाने और मौसम की मार से उनकी फसल को बचाने के लिए केंद्र भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) मौसम को देखते हुए आए दिन एग्रोमेट एडवाइजरी जारी करता रहता है. इसी क्रम में आज हम आपको मौसम विभाग के द्वारा जारी पश्चिम बंगाल के एग्रोमेट एडवाइजरी के बारे में बताने जा रहे हैं...
पश्चिम बंगाल किसान भाइयों के लिए जरूरी जानकारी
पश्चिम बंगाल के किसानों और पशुपालकों के लिए इन दिनों मौसम के रुख में बदलाव देखते हुए मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि आने वाले कुछ दिनों तक पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में हल्की बारिश होने की उम्मीद है. इसके अलावा उन्होंने फसलों को लेकर भी कुछ जरूरी बातों को बताया है. जिससे किसान अपनी फसल से अच्छी पैदावार और अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं.
चावल (Rice) - मौसम विभाग के मुताबिक, किसान इस समय 80 प्रतिशत तक अनाज की कटाई करना शुरू करें और फिर उसे सुरक्षित स्थान पर रख दें. कटाई के बाद पराली को न जलाएं, क्योंकि यह वायु प्रदूषण पैदा करता है, जिससे फसल के साथ लोगों की सेहत पर भी भुरा प्रभाव पड़ता है. चावल की फसल के बाद मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखे जिससे अगली फसल के लिए मिट्टी पहले से ही अच्छे से तैयार रहे. इसके लिए आप मिट्टी में बेहतर मृदा स्वास्थ्य और उत्पादकता को मिलाएं.
खरीफ चावल (Kharif Rice) - इस समय किसान अच्छी गुणवत्ता वाली उच्च उपज देने वाली किस्म को लें और खरीफ चावल के लिए जमीन की तैयारी शुरू करें और बीजों का उपचार जरूर करें. आप बीजों को उपचार दो तरह से कर सकते है. एक सूखा बीज उपचार और दूसरा भिगोकर बीज उपचार. इसमें आप कार्बेन्डाजिम (50%) या कार्बेन्डाजिम का मिश्रण (25%) + मैनकोज़ेब (50%) (स्प्रिंट या क्लियर) 2 ग्राम प्रति लीटर पानी और उसमें 1 किलो बीज को 8-10 घंटे तक भिगो दें. इसके बाद बीजों को छाया में सुखा लें. फिर इनमें कार्बनिक कवकनाशी ट्राइकोडर्मा विरिडी मिलाएं. इस तरह से आप 4 ग्राम प्रति किलो बीज से बीज को उपचारित कर सकते हैं.
भूमि चयन: ऐसी भूमि का चयन करें, जो उपजाऊ हो और साथ ही पानी की मात्रा भी सही हो.
बीज दर : एक बीघा खेत में लगभग 4-5 किलो उपचारित बीज बोना चाहिए.
उर्वरक आवेदन : यदि पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद का प्रयोग होगा, तो अच्छे परिणाम मिलेंगे. आम तौर पर, 2 कटोरी बीजारोपण के लिए, 200 किग्रा, सड़ी हुई गोबर की खाद, 1-1.5 किलो यूरिया, 2 किलो सिंगल सुपर शॉस्फेट (एसएसपी) और 500 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) चाहिए. मिट्टी फसल लगाने से पहले अच्छे से मिलाकर लगाना चाहिए. इसके अलावा खेत में 650 ग्राम यूरिया प्रति कथा रोपण से एक सप्ताह पहले लगाया जाना चाहिए.
हरा चना (GreenGram) - खेत में चूसने वाले कीट ऐसफेट को नियंत्रित करने के लिए 25% + फेनवेलरेट 3% @ 1.5 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय पौधे पर छिड़काव करें.
जूट और मेस्टा (Jute and Mesta)- स्पिनोसैड (45% एस.सी.) 0.3 मिली/लीटर पानी या एमेमेक्टिन बेंजोएट (5% एससी) 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या इंडोक्साकार्ब (14.5% एससी) 0.5 मिली/लीटर पानी में मिलाकर शाम के समय छिड़काव करें. यदि प्रकोप बहुत अधिक हो तो दो बार छिड़काव करें. जूट के तना सड़न से बचाने के लिेए 7 -8 दिनों के बाद कॉपर ऑक्सीक्लोराइड @ 3-4 ग्राम/लीटर का छिड़काव करें.
चूसने वाले कीट प्रकोप का प्रबंधन
इसके बचाव के लिए जूट स्प्रे डाइनोटफेरन 20% एसजी @ 1 ग्राम/लीटर+ 0.5 मिली/लीटर स्टिकर की सही मात्रा में मिलाकर छिड़काव करें.
चाय (Tea) – इस फसल में कीट सबसे पहले पत्ती को सहायता से लपेटता है औऱ फिर लार का हिस्सा खाना शुरू करता है. जिसके बाद पत्ता सूखने लगता है. जिससे किसान की फसल धीरे-धीरे खराब होने लगती है.
इसे नियंत्रित करने के लिए
1) प्यूपा से संक्रमित पत्तियां तोड़कर नष्ट कर दें.
2) फसल पर फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें.
3) काबोसल्फान @ 2 मिली/लीटर या क्लोरपाइरीफॉस @ 2.5 मिली/लीटर कैन छिड़काव करें.
टमाटर ( Tomato) - टमाटर की फसल में ज्यादातर सफेद मक्खी का रोग देखने को मिलता है. इसके लिए एक ही कीटनाशक का प्रयोग न करें. बल्कि नियमित रूप से अलग-अलग कीटों का इस्तेमाल करें, क्योंकि इसमें कीड़े बहुत ही जल्दी विकसित होते हैं. इसके लिए वैकल्पिक रूप से लिखित कीटनाशक का प्रयोग करें. इसके अलावा इसकी सुरक्षा के लिए स्प्रेइमिडाक्लोप्रिड (18.7% एसएल) 0.8 मिली/लीटर पानी या एसिडमिप्रिड 1 मिली/लीटर पानी या डायफेंथियूरोन 12.5 ग्राम/ 15 लीटर पानी दें.
फूल गिरना: पानी के दबाव के कारण बोरॉन की कमी या हार्मोन के कारण असंतुलन फूल गिरना शुरु करते हैं. इसके बचाव के लिए समय पर सिंचाई करना शुरू करें. इसके अलावा फसल में बोरॉन 20% 2 ग्राम/लीटर का छिड़काव करें. यह प्रक्रिया आपको शुरुआती फूल आने के दौरान और फूल आने के 15 दिन बाद तक करनी है.
लेट ब्लाइट: लेट ब्लाइट से सावधान रहें. इसके लिए आपको फसल में एज़ोक्सिस्ट्रोबिन + टेबुकोनाज़ोल स्प्रे करना चाहिए औऱ साथ ही 1.5 मिली/लीटर पानी देना चाहिए.
आम ( Mango) – इस समय किसान भाई आम के पेड़ के आसपास साफ-सफाई रखें, क्योंकि इसमें कई तरह के रोग लग जाते है. इस दौरान आम की फसल को धुएं से भी दूर रखना चाहिए, क्योंकि धुएं के कारण फल में काले धब्बे और जल्दी सड़ना शुरु हो जाते हैं और साथ ही फल के ब्लैक स्पॉट से गोंद निकलने लगता है. इस रोग के नियंत्रण के लिए बोरेक्स (2 ग्राम) का छिड़काव करें या फिर ऑक्टाबोरेट (1 ग्राम) एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
मिर्च (Chili) – इस समय मिर्च की फसल जल्दी सड़ना शुरू हो जाती है. इसके नियंत्रित करने के लिए आपको कार्बेन्डाजिम स्प्रे करना चाहिेए या फिर मैनकोज़ेब 2.5 ग्राम/लीटर पानी, पेगासस 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें. फलों को सड़ने से बचाने के लिए किसानों को रोको+कवच का छिड़काव करना चाहिए और साथ ही 1 ग्राम + 2 ग्राम क्रमश लीटर पानी देते रहना चाहिए.
भिन्डी (Bhindi)- भिंडी फसल को रोग से नियंत्रित करने, बेधक को हटाने के लिए और पौधे के सभी संक्रमित भागों को बचाने के लिए बेकार फसल को समय से जला दें. इसके अलावा फसल में लाइट और फेरोमोन ट्रैप 1-2 प्रति दें और साथ ही बीघा बेसिलस थुरिंजिनिसिस 5% W.P का छिड़काव करें. साथ ही फसल में 1.5 ग्राम/लीटर पानी की मात्रा दें.
पशु (Cattle) - इस मौसम में पश्चिम बंगाल के किसानों को अपने पशुओं के चारे का बेहद ध्यान रखना चाहिए. इस समय ज्यादातर अल्फा घास के मैदान में चारा पाया जाता है. मौसम विभाग का यह भी कहना है कि, गर्मी के बढ़ते प्रकोप से पशुपालक अपने पशुओं को बचाएं. अन्यथा उन्हें कई खतरनाक बीमारियां हो सकती है. इसके बचाव के लिए उन्हें समय- समय पर टीकाकरण और पशु चिकित्सा केंद्र से जरूर सलाह लें.
मछली (General Fish) – इस समय मछली पालक किसान अपने तालाब से खराब और अतिरिक्त पानी निकाल दें. ऐसा करने से मछलियों में होने वाले बैक्टीरिया को नियंत्रित किया जा सकता है. इसके अलावा मछलियों को रोगों से बचाने के लिए टेरामाइसिन टैबलेट का प्रयोग करें. इसके लिए आप अपने नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से भी संपर्क कर सकते हैं.