Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 21 October, 2019 2:09 PM IST

अगर बिहार के लोग दक्षिण भारत के किसी भी हिस्से में रह रहे है और बिहार की लीची को याद कर रहे है तो उनको अब कोई भी चिंता करने की जरूरत नहीं है. वह दक्षिण भारत में भी रहकर शाही लीची का लुफ्त उठा सकते है. सबसे मजेदार बात तो यह है कि बिहार में लीची का स्वाद लोग आमतौर पर गर्मी के मौसम में चखते है जबकि दक्षिण भारत के लोग इसी लीची का स्वाद लोग नवंबर और दिसंबर महीने में ही उठाएंगे. दरअसल बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक ने बताया है कि इस बार सर्दियों में कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु में शाही लीची की बागवानी तैयार होगी. इसके लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा पिछले सात साल से तैयारी चल रही थी जो कि अब जाकर सफल हुई है.

लीची उत्पादन का दिया गया प्रशिक्षण

केरल राज्य के वायनाड, इडुक्की, कल्पेटा, कर्नाटक के कोडबू, चिकमंगलूर, हसन और तमिलनाडु के पालानी हिल्स और ऊंटी जिलों में लीची की बागवानी शुरू हुई है. इन जिलों के किसानों को लीची बागवानी के लिए प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि वहां की जलवायु लीची उत्पादन के लिए बागवानी का प्रशिक्षण दिया गया है. वहां की जलवायु लीची उत्पादन के लिए ठंड के मौसम में ही अनुकूल है. दक्षिण भारत में नवंबर और दिसंबर माह में लीची के फल फल तैयार हो जाएंगे. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने दक्षिण भारत के इन राज्यों में लीची बागवानी का प्रयोग शुरू किया था.

काफी लाभप्रद है लीची

दक्षिण भारत के राज्यों में एक पुष्ट लीची का वजन 40 ग्राम तक होने की संभावना है, उन्होंने संभावना जताई है कि दक्षिण भारत के किसानों के लिए लीची की खेती काफी लाभप्रद होगी, क्योंकि उस क्षेत्र में लीची काफी महंगी मिलेगी.

बिहार की लीची है ब्रांड

बता दें कि बिहार की देश की लीची उत्पादन में कुल 40 फीसदी उत्पादन है. वहीं आंकड़ों के हिसाब से बिहार में 32 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती की जाती है. बिहार की शाही लीची को डीआई टैग भी मिल चुका है, वैसे तो बिहार की लीची का अपना अलग ही स्वाद है जो कि काफी ज्यादा पसंद किया जाता है लेकिन जीआई टैग मिलने के बाद इस लीची का देश और विदेश में भी काफी ब्रांड बन गया है.  

English Summary: A taste of Bihar's litchi will be found in South India
Published on: 21 October 2019, 02:11 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now