कृषि क्षेत्र (Agriculture sector) की जल्द की कायापलट होने की उम्मीद जताई जा रही है. आने वाले समय में इसको तगड़ा बूम मिलने वाला है. दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2030 तक एग्रीटेक और संबद्ध क्षेत्रों (Agritech and allied sectors) में 272 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ कृषि क्षेत्र में बूम आने वाला है.
नौकरियों की होगी बहार (Unlimited jobs will come out)
बता दें कि इसकी वजह से भारत 152 मिलियन नौकरियों (152 million jobs) को पैदा करके 813 बिलियन डॉलर (813 billion dollars) का राजस्व (Revenue) उत्पन्न कर सकता है. जिससे यह देश का सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का उद्योग बन जाएगा.
बदलेगा कृषि क्षेत्र का चेहरा (Agriculture sector will change in future)
देश के लिए अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार बने रहने के साथ एग्रीटेक और संबद्ध क्षेत्रों में निवेश के अच्छे परिणाम साबित हो सकते है. इसके साथ ही भारतीय कृषि के चेहरे को खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ कृषि समाधानों (Food security and sustainable agriculture solutions) के लिए दूरगामी प्रभाव (Domino effect) के साथ बदल सकता है.
बनेगा टिकाऊ भविष्य (A sustainable future)
एस्पायर सर्कल और क्रिएटर-इम्पैक्ट फ्यूचर प्रोजेक्ट के संस्थापक अमित भाटिया (Amit Bhatia, Founder of Aspire Circle and Creator-Impact Future Project) ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने कृषि क्षेत्र में करीब 9 अरब डॉलर का FDI निवेश आकर्षित किया है. उन्होंने कहा कि यह दशक भारतीय उद्योग जगत (Indian Industry) के लिए इस क्षेत्र में लाभ उठाने और इसे टिकाऊ और भविष्य के लिए तैयार करने का अवसर लेकर आया है.
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2060 तक लोगों की जरूरतों को पूरा करने की जताई उम्मीद (Expected to meet people's needs by 2060)
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जब मशीनीकरण के स्तर के साथ कृषि पद्धतियों (agricultural practices) की बात आती है, तो भारत के सामने चुनौतियों पैदा हो जाती है. देश में सबसे बड़े उत्पादन जोखिम का अनुमान लगाया गया है. जिसमें 68 प्रतिशत खेती क्षेत्र सीधे मानसून पर निर्भर है, जो कुल कृषि उत्पादन का 40-45 प्रतिशत है. इस के चलते इन सभी से निपटारा जल्द होने वाला है.
2 प्रतिशत की अनुमानित जनसंख्या वृद्धि के मुकाबले, खाद्यान्नों की मांग 3 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है. अपनी डेयरी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को 2060 और उसके बाद प्रति वर्ष लगभग 600 मिलियन टन दूध की आवश्यकता होगी. इसी वजह से क्षेत्र में निवेश करने की अत्याधिक जरूरत है. इसके अलावा एग्रीटेक स्टार्ट-अप्स और इनोवेटिव मॉडल्स के इस क्षेत्र पर हावी होने का अनुमान है. इंडिया इंक ने पहले ही बदलाव का रास्ता बनाना शुरू कर दिया है.