छोटे कदमों में भी बड़ी दूरी तय करने का सामर्थ्य हो सकता है, इसी बात को पटना म़िला मस्थत मसौढी प्रखंड की खुश्बू कुमारी ने सिद्ध कर दिखाया है. देवरिया पंचायत के मीरचक गांव की रहने वाली खुश्बू वैसे तो आम बच्चों की तरह ही है, लेकिन उसकी सोच बड़ों-बड़ों को हैरत में डाल देती है. खुश्बू उन बातों को लेकर चिंतन करती है, जिसके बारे में प्रायः कोई भी नहीं सोचता. इसी का प्रमाण है कि महज पांचवीं कक्षा की इस छात्रा ने सजगता और स्वच्छता का पताका पूरे गांव में फहरा दिया है.
शौचालय के लिए शुरू किया संघर्ष
साधारण ग्रामीण परिवार से आने वाली खुश्बू की मांग थी कि घर में शौचालय का निर्माण करवाया जाए, लेकिन परिवार के लोगों ने उसकी इस मांग को अनदेखा कर दिया. गांव के लिए भी खुले में शौच जाना कोई नई बात तो थी नहीं, इसलिए किसी का साथ भी नहीं मिला. पर खुश्बू तो आखिर खुश्बू ही ठहरी, वो इतनी आसानी से हार कहां मानने वाली थी. शौचालय बनवाने के लिए जब सभी आग्रह को दरकिनार कर दिया गया, तब इस छोटी बच्ची ने संकल्प लिया कि वो हर हाल में शौचालय तो घर में बनवाकर ही रहेगी. खुश्बू ने स्कूल जाना,भोजन करना, खेलना-कूदना आदि सब बंद कर दिया.
संकल्प के आगे हार गया हठ
आखिरकार छोटी सी बच्ची के संपल्प के आगे घर वालो का हठ हार गया. घर में पैसों का अभाव तो था ही, लेकिन किसी तरह इधर-उधर से इंतजाम कर शौचालय बनवा दिया गया. खुश्बू के इस कदम ने गांव में क्रांति ला दी. उसके इस कदम से प्रभावित होकर अन्य छात्र-छात्राओं ने भी घरों में शौचालय बनवाने की मांग कर दी.
गांव के घर-घर में है शौचालय
खुश्बू की छोटी पहल का ही परिणाम है कि आज गांव के घर-घर में शौचालय है. उसके इस कार्य की सराहना राज्य स्तर पर मीडिया एवं प्रेस में होने लगी. उसे लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सम्मानित भी किया गया.
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