सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 07 अगस्त, 2020 को किसान रेल से 23 जून, 2022 तक भारतीय रेलवे ने लगभग 2,359 किसान रेलों का संचालन किया है, जिसमें प्याज, केला, आलू, अदरक, लहसुन, आम, अंगूर सहित लगभग 8 लाख टन खराब होने वाली वस्तुओं का परिवहन किया गया है.
बता दें कि फलों व सब्जियों की ढुलाई पर सरकार की तरफ से 50 फीसदी तक की सब्सिडी दी जा रही है. वहीं सरकार का कहना है कि किसान रेल किसानों की आय दोगुनी करने में भागीदारी निभा रही है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट कर जानकारी दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि “ देश के अन्नदाताओं को सीधे बाजारों से जोड़ उनकी आय में वृद्धि का माध्यम बन रही किसान रेल. अब तक 2,359 किसान रेल सेवाओं के माध्यम से 8 लाख टन से अधिक कृषि उत्पादों की ढुलाई हो चुकी है.”
किसान रेल क्या है?
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 में किसान रेल का उद्घाटन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों की फसल, सब्जी व फलों को एक निश्चित अवधि के दौरान ट्रेनों के माध्यम से सुरक्षित मंडियों तक पहुंचाना था, क्योंकि अनाज के अलावा फल व सब्जी बहुत जल्द खराब हो जाती हैं, जिसे स्टोर करके नहीं रखा जा सकता है. किसान ट्रेन में फल, सब्जी इत्यादि को उचित रूप से ले जाने की व्यवस्था है. केंद्रीय बजट 2020-21 की घोषणा के अनुसार, भारतीय रेलवे ने उत्पादन या अधिशेष क्षेत्रों से उपभोग या उपभोग के लिए फल, सब्जियां, मांस, मुर्गी पालन, मत्स्य, और डेयरी उत्पादों जैसे खराब होने वाले सामानों के त्वरित परिवहन की सुविधा के लिए किसान रेल ट्रेनों की शुरुआत की.
किसान रेल किसानों को दूर, बड़े और अधिक आकर्षक बाजारों तक पहुंचने के लिए विशाल रेलवे नेटवर्क का उपयोग करने में सक्षम बनाता है. यह मल्टी कमोडिटी, मल्टी कंसाइनर, मल्टी कंसाइनी और मल्टी स्टॉपेज की अवधारणा पर आधारित है.
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कोरोना महामारी में कारगर हुई किसान रेल
किसान रेल ने कोरोना महामारी के दौरान फलों व सब्जियों के ट्रांसपोर्ट में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया. देश कोरोना की मार इस कदर झेल रहा था कि पूरे देश में लॉकडाउन लगाना पड़ा, जिसके कारण फलों व सब्जियों की आवागमन भी पूरी तरह से थप पड़ गया. जिससे किसानों व ग्राहकों दोनों को नुकसान हो रहा था. तब किसान रेल सभी के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आई.