गणतंत्र दिवस की शाम को घोषित प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार प्राप्त करने के लिए 12 किसानों को भी सम्मिलित किया गया है. इन किसानों ने कृषि को एक नया रूप प्रदान किया और समाज के लिए एक मिसाल कायम की है. चलिए जानते हैं उन किसानों के बारे में जिन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
राजकुमारी देवी (Rajkumari Devi)
राजकुमारी देवी बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गाँव की रहने वाली हैं. वह कोई ज्योतिषी नहीं है, लेकिन उसकी अधिग्रहीत विशेषज्ञता ने उसे मिट्टी की गुणवत्ता का आकलन करने और किसानों को लाभदायक वन प्राप्त करने में काफी कुशल बना दिया है. वह गांवों में रसोई की खेती के बारे में सुझाव देती हैं और महिलाओं को स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए जुटाती हैं. राजकुमारी ने एक गैर-लाभकारी संगठन भी बनाया है, जो न केवल एसएचजी द्वारा संचालित खेतों से ताजा उत्पादन उठाती हैं बल्कि महिलाओं को कृषि रोजगार भी देती हैं.
कंवल सिंह चौहान (Kanwal Singh Chauhan)
हरियाणा के अनंतना से, कंवल सिंह को पहले भी प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. वह एक प्रशिक्षित वकील भी हैं. हालांकि वह अदालत की अपेक्षा खेतों में काम करना अधिक पसंद करते हैं. उन्हें व्यापक रूप से मशरूम और बेबी कॉर्न की खेती के लिए जाना जाता है. बेबी कॉर्न की खेती की तकनीक सीखने के लिए दुनिया भर के हजारों किसानों ने दिलचस्पी दिखाई है.
वल्लभभाई वसरामभाई मारवानिया (Vallabhbhai Vasrambhai Marvaniya)
वल्लभभाई वीरभाई जूनागढ़, गुजरात के निवासी हैं. उन्होंने 13 साल की उम्र से खेती करना शुरू किया था. उन्होंने अपना जीवन खेतों को ही समर्पित कर दिया है. उन्हें गाजर उगाने में महारथ हासिल है. उन्हें "मधुवनगजर - बेहतर गाजर विविधता" के लिए नौवें राष्ट्रीय ग्रासरूट इनोवेशन अवार्ड्स (2017) से भी नवाजा जा चुका है.
कमला पुजारी (Kamla Pujari)
ओडिशा के कोटापुर जिले की यह आदिवासी महिला धान की स्थानीय किस्मों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है. वह अपने क्षेत्र में ग्रामीणों को रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को छोड़ने और जैविक खेती प्रथाओं को अपनाने के लिए राजी करने के लिए भी जानी जाती हैं. हाल ही में उन्हें नवीन पटनायक सरकार ने ओडिशा के राज्य योजना बोर्ड में शामिल किया था.
वासराभाई जगदीश प्रसाद पारिख (Vasrabhai Jagdish Prasad Parekh)
फूलगोभी की जैविक खेती और खेती के लिए जाने जाने वाले जगदीश प्रसाद ने अपना नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज़ कराया है. वह राजस्थान के सीकर जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने कईं पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं.
वह "अजीतगढ़ चयन - एक नई फूलगोभी किस्म" के लिए प्रथम राष्ट्रीय ग्रासरूट इनोवेशन अवार्ड्स (2001) के प्राप्तकर्ता हैं. उन्होंने 15 किलो की फूलगोभी उगाकर लोगों को चकित कर दिया था.
भारत भूषणत्यागी (Bharat Bhushantyagi)
भारत भूषण त्यागी कृषि क्षेत्र का एक प्रसिद्ध नाम है. भारत, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं. वे जैविक खेती के अग्रदूतों में से एक हैं. बुलंदशहर के एक गाँव से निकलकर त्यागी ने उत्तर प्रदेश में अपने पैतृक गाँव में कला अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र विकसित किया है. उन्हें पीएम द्वारा प्रगतिशील किसान पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार भी मिले हैं.
राम शरणवर्मा (Ram Sharanverma)
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के दौलतपुर गाँव में रहकर राम शरण वर्मा ने अपनी खुद की हाइब्रिड और टिशू कल्चर तकनीक तैयार की है. वर्मा ग्राम दौलतपुर में “हाई-टेक कृषि और परामर्श” केंद्र चलाते हैं. इस दौरान उन्होंने बहुत सारे किसानों को मुफ्त में ज्ञान दिया है. इस किसान का तीन गुना मंत्र प्रौद्योगिकी, गुणवत्ता और फसल रोटेशन है. वह विभिन्न प्रकार की फसलों, प्रमुख रूप से केला, आलू, टमाटर और गेहूं उगाते हैं.
यदपाली वेंकटेश्वर राव (Yadpaali Venkateshwar Rav)
यदपाली वेंकटेश्वर राव ने 2005 से जैविक खेती को बढ़ावा देने में अपने काम से ख्याति प्राप्त की है. वह किसानों के लिए एक वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन चलाते हैं. वह बाजरा खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देते हैं. आंध्र प्रदेश के कुन्नूर से ताल्लुक रखने वाले राव बचपन से ही खेती से जुड़े हैं.
हुकुमचंद पाटीदार (Hukumchand Patidaar)
हुकुमचंद पाटीदार राजस्थान के झालावाड़ में जैविक खेती करते हैं. उन्होंने 2004 में जैविक खेती शुरू की और अब वह कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. उनके खेत पर विभिन्न फसलों के साथ प्रयोग किए जाते हैं. प्रमुख रूप से गेहूं, जौ, चना, मेथी, धनिया, लहसुन उनके खेत में उगाए जाते हैं. भारत के अलावा उनकी उपज ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, जर्मनी, फ्रांस और कोरिया जैसे देशों को निर्यात की जाती है.
सुल्तान सिंह (Sultan Singh)
बुटाना गाँव के निवासी सुल्तान सिंह ने खेती में पुनःसंचार जलीय कृषि तकनीक जैसी कई तकनीकों को अपनाया है. उन्होंने कैटफ़िश का प्रजनन शुरू किया और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में झींगा को पाला. उन्हें, उनकी हाई-टेक और अत्यधिक लाभदायक मछली पालन विधियों के लिए सम्मानित किया गया है.
नरेंद्र सिंह (Narendra Singh)
हरियाणा के पानीपत के इसराना गांव से संबंध रखने वाले नरेंद्र सिंह के डेयरी फार्म में लगभग 150 मवेशी हैं. उन्होंने 20 साल पहले 10 जानवरों के साथ इस कार्य की शुरूआत की थी और आज दुनिया भर के लोग उनके डेयरी फार्म के बारे में जानने के लिए उनके पास जाते हैं.