एक बहुत मशहूर कहावत है 'आम के आम गुठलियों के दाम.' कुछ इस तरह की कहावत को महाराष्ट्र की एक लोकोशाक्ति सहकारी संस्था सही साबित कर रही है. दरअसल लोकोशाक्ति सहकारी संस्था ने एक बेहद ही अनूठी मिसाल पेश की है. जिसकी वजह से अब लोग हर साल दुनिया के सबसे मशहूर अल्फांसों आम का लुफ्त उठा सकेंगे. यह संस्था बेहद ही अनूठा कार्य कर रही है, इस संस्था ने ऑफर दिया है कि 50 हजार रूपए का मैंगों बॉन्ड खरीदने पर निवेशक को हर साल 10 फीसद ब्याज के रूप में आम घर भिजवाएं जाएंगे. इससे आम आदमी को काफी ज्यादा फायदा होगा. गौरतलब है कि इसमें 5 साल का लॉक - इन - पीरियड भी है. यानी बॉन्ड की अवधि कम से कम पांच साल की होगी.
अब तक हुआ एक करोड़ का निवेश
देशभर के 200 से ज्यादा लोग अब तक इस मैंगो बॉन्ड में कुल एक करोड़ तक का निवेश कर चुके है. यह संस्था के मालिक कहते है कि मैंगों बॉन्ड में निवेश करने वाले केवल मुंबई के निवासी नहीं बल्कि दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरू और अहमदाबाद के लोग भी है. उनका कहना है कि इस तरह के आमों को सीधे लोगों के घर पर पहुंचा रहे है. अभी इस वक्त कुल 700 किसान इस संस्था से जुड़े हुए है, साथ ही ऑनलाइन आम को बेचने वाली भी यह पहली सहकारी संस्था है.
महाराष्ट्र में फेमस है यह आम
दरअसल महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में सिंधुदुर्ग जिले की देवगढ़ तहसील अल्फांसों आम के लिए पहचानी जाती है. यहां पर कुल 45 हजार एकड़ में आम के बाग मौजूद है. 70 गांवों में करीब कुल एक हजार किसान सालाना 50 हजार टन आम का उत्पादन करते है . किसानों के सामने समस्या यह है कि इतने बड़े उत्पादन के लिए इलाकों में बाजार नहीं है. एक रिपोर्ट के मुताबिक संस्था ने 50 हजार रूपए का मैंगो बॉन्ड जारी किया है. इस पर हर साल 10 प्रतिशत ब्याज के तौर पर 5 हजार रूपए के आम घर पर बैठे हुए मिलेंगे. इसमें छोटे बड़े आठ किस्मों के 500 के 2000 रूपए दर्जन वाली कीमत के आम मिलते है. निवेशक आसानी से एकमुश्त किस्त पर ले जाते है.
जैविक पर जोर
देवगढ़ तहसील सरकारी संस्था की ओर से आम की बिक्री के लिए पारंपरिक तौर -तरीकों के साथ इनवेशन पर काम हो रहा है. इसमें ऑनलाइन बिक्री, मैंगो बॉन्ड जैसे बड़ें बाजारों में आम के स्टॉल शरू करने जैसे प्रयासों पर काम शुरू किया जाएगा. इसके अलावा पुणे की बीवीजी लाइफ साइंस लिमिटेड के जरिए अल्फांसों पर लगने वाले कीड़ें को रोकने और उनके उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा. साथ ही बिना पेस्टिसाइड का इस्तेमाल किए बिना आम की पैदावर कैसे बढ़ाई जाए इस पर भी लगतार प्रयोग किए जा रहे है.