फसल बुवाई से पहले अकसर किसान खेत की कई बार जुताई करते हैं, जिससे खेती की लागत काफी बढ़ जाती है. ऐसे में अगर किसान भाई खेत की जुताई में लगने वाली लागत कम करना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ते रहें.
दरअसल, अभी रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई (Wheat Sowing) का समय चल रहा है. अगर किसान खेत की मंहगी जुताई में होने वाली लागत से बचना चाहते हैं और फसल का उत्पादन ज्यादा लेना चाहते हैं, तो जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन (Zero Tillage Seed Drill Machine) का प्रयोग कर सकते हैं. कृषि वैज्ञनिक भी इस नई तकनीक से गेहूं की बुवाई (Wheat Sowing) करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं.
क्या है जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन? (What is Zero Tillage Seed Drill Machine?)
जीरो टिलेज सीड मशीन (Zero Tillage Seed Drill Machine) के जरिए बिना जुताई के खेत में सीधे फसल के बीज और खाद, दोनों एक साथ बो सकते हैं. आमतौर पर किसान कल्टीवेटर से खेत की जुताई करते हैं.
वहीं, पहले लोग खरपतवार खत्म करने के लिए गहरी जुताई करते थे. इसके साथ ही पहले सिंचाई खेत में नमी बरकरार रखने के लिए खेत की जुताई की जाती थी. अब किसानों के पास खरपतवार हटाने के लिए दवाएं आ गई हैं, साथ ही सिंचाई के भी उचित संसाधन हैं.
जीरो टिलेज सीड मशीन से सीधी बुवाई (Direct sowing with zero tillage seed machine)
अगर खेत में खरपतवार नहीं है, तो इस मशीन के जरिए सीधी बुवाई कर सकते हैं. मशीन में खाद और बीज साथ में डाला जाता है फिर उतनी जगह खोदी जाती है, जितनी जगह में बीज बोना है, क्योंकि जुताई से खेत की ऊपरी सतह की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है. इससे फसल तेज हवा और पानी से गिर जाती है. वहीं, इस तकनीक से बुवाई करने पर फसल गिरने की संभावना कम रहती है.
कैसी होती है जीरो टिलेज सीड मशीन? (How is Zero Tillage Seed Machine?)
इस मशीन में कम चौड़े हल लगे होते हैं. एक भाग में बीज और दूसरे भाग में खाद डाली जाती है, जो नीचे हल तक पहुंचते हैं. मशीन लगभग 2 से 3 इंच की चौड़ाई में जमीन को खोदती है, उसमें बीज बो दिए जाते हैं. यह मशीन कृषि यंत्र विक्रय केन्द्रों पर मिल जाएगा. इसके अलावा मशीन को किराए पर भी लिया जा सकता है.
जीरो टिलेज सीड मशीन से बुवाई के फायदे (Benefits of sowing with zero tillage seed machine)
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जीरो टिलेज सीड ड्रिल मशीन (Zero Tillage Seed Drill Machine) से प्रति हेक्टेयर लगभग एक से डेढ़ हजार में जुताई हो जाती है.
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गेहूं की फसल में पूरे सीजन में लगभग 35 सेमी पानी दिया जाता है, जबकि इस प्रयोग के बाद 3 से 4 सेमी कम पानी ही दे सकते हैं.
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एक हेक्टेयर में औसतन 50 कुंतल तक उत्पादन मिल सकता है.
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इस प्रायोगिक खेती में फसल के डंठल, जड़ आदि खेत में ही सड़कर उर्वरक बन जाते हैं, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है.
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खेती में जुताई के बाद मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और हवा चलने पर गेहूं खेत में बिछ जाता है.
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इस मशीन से बुवाई करने पर मिट्टी की पकड़ कमजोर नहीं होती है.