किसानों को अक्सर कई कामों के लिए उर्वरक और ईंधन की जरूरत पड़ती है. ऐसे में गोबर बहुत उपयोगी साबित हो सकता है. मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में गोबर सहायक है. इससे मिट्टी को संतुलित पोषक पदार्थ भी मिलते हैं. गोबर की ऊर्जा को गोबर गैस प्लांट में किण्वन (फर्मंटेशन) करके निकाला जा सकता है, जिसका उपयोग ईंधन, प्रकाश और कम हॉर्स पावर के डीज़ल इंजन्स आदि चलाने में किया जा सकता है. इतना ही नहीं आप इस प्लांट से निकलने वाले गोबर को बाद में खाद की तरह भी उपयोग कर सकते हैं. सरल शब्दों में कहा जाए तो इससे किसानों के ईंधन और खाद, दोनों की बचत होती है.
गोबर गैस प्लांट और ज़रूरी बातें
अगर आपके पास कम से कम दो या तीन पशु है तो आप इस प्लांट को लगा सकते हैं. इसका आकार गोबर की प्राप्त होने वाली मात्रा को ध्यान में रखकर ही बनाएं. ध्यान रहें कि छत से किसी प्रकार की लीकेज न हो और इसे किसी प्रशिक्षित व्यक्ति की देखरेख में ही बनवाया जाए.
कैसा होता है गोबर गैस प्लांट
इस प्लांट को बायोगैस जीवाश्म ईंधन या फिर मृत जैव सामग्री से तैयार किया जाता है. इसे किसी भी तरह के डिज़ाइन में बनाया जा सकता है और इसे चलाने में पानी और गोबर के घोल का मुख्य योगदान है. इस प्लांट में गोबर को आर.सी.पी पाइप के जरिए डाला जाता है. इसके अंदर का भाग एक फुट चौड़ा और 4 फुट ऊॅंचाई पर बना होता है.
गोबर गैस प्लांट के लिए मूल संसाधन
इसे बनवाने के लिए सीमेंट, बजरी, रेत और पाइप के साथ काले पेंट की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा गैस पाइप और बर्नर की भी जरूरत होती है.
सावधानियां
गोबर गैस प्लांट का हर हाल में लीकेज रहित जरूरी है. इसके गैस पाइप्स और अन्य उपकरणों की जांच समय-समय पर होती रहनी चाहिए.
इसके साथ ही गोबर डालने और बाहर निकलने का पाइप हर समय ढका रहना चाहिए.