Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 12 November, 2022 8:00 AM IST
मौजूदा समय में किसानों के पास भूमि के घटते आकार और बिखरे हुए खेतों के कारण कृषि यंत्र बाजार को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जो बड़े पैमाने पर कृषि मशीनीकरण और किसानों के लिए इन्हें खरीदने के सामर्थ्य के दायरे को सीमित करता है. (फोटो-सोशल मीडिया)

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में कृषि यंत्रों की खरीद-परोख्त के लिए एक बड़ा बाजार तंत्र विकसित हो सकता है. देश में सटीक खेतीबाड़ी, किसानों के लिए श्रम और धन की बचत की बढ़ती आवश्यकताओं के लिए ट्रैक्टर के अलावा अन्य कृषि यंत्रों की जरूरत है. कृषि उपकरण, जैसे की लेजर लेवलर, रोटावेटर, रीपर, धान ट्रांसप्लांटर और हार्वेस्टर, कपास हार्वेस्टर किसानों के बीच लोकप्रियता बटोर रहे हैं.

भारत को एक ट्रैक्टरीकृत बाजार बनाया गया है न कि यंत्रीकृत. विश्व स्तर पर ट्रैक्टर उद्योग, कुल उद्योग (ट्रैक्टर+ कृषि मशीनरी) का केवल 38 प्रतिशत है. जबकि भारत में यह कुल उद्योग का लगभग 80 प्रतिशत है.

एम और एम लिमिटेड (स्वराज डिवीजन) के सीईओ हरीश चव्हाण का कहना है कि भारतीय ट्रैक्टर बाजार लगभग 39000 करोड़ रुपये का है, जो कि वैश्विक उद्योग का 10 प्रतिशत है. इसके विपरीत, भारत में कृषि मशीनरी का बाजार लगभग 7000 करोड़ रुपये है, यह वैश्विक कृषि यंत्र उद्योग का केवल 1 प्रतिशत है.

खेती किसानी में मशीनीकरण परिश्रम और समय बचाता है, साथ ही कृषि दक्षता को भी बढ़ाता है. धान की रोपाई, कपास की कटाई, गन्ने की कटाई, फसल अवशेष प्रबंधन की शुरुआत और जरूरी उपकरणों के इस्तेमाल से जल संरक्षण जैसे कृषि कार्यों में यंत्रों का प्रयोग किया जा सकता है. हालांकि पिछले तीन दशकों में खेती-किसानी के लिए कृषि यंत्रों के उपयोग में तेजी आई है.

हालांकि मौजूदा समय में किसानों के पास भूमि के घटते आकार और बिखरे हुए खेतों के कारण कृषि यंत्र बाजार को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जो बड़े पैमाने पर कृषि मशीनीकरण और किसानों के लिए इन्हें खरीदने के सामर्थ्य के दायरे को सीमित करता है.

ये भी पढ़ें-सीमांत-छोटे किसानों के पास कृषि यंत्रों को खरीदने की हैसियत खेती-किसानी में असमानताओं को गहरा कर रही है: एफएओ

इस समस्या पर कृषि मशीनरी और उपकरण निर्माताओं का विचार है कि कृषि यंत्र उद्योग को उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं को तैयार करना चाहिए. ‘बेस्ट इन क्लास’  उत्पादों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में वितरित करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. इससे देश में कृषि यंत्रों को अपनाने में किसानों को नया नजरिया मिलेगा है.

English Summary: huge potential in India for farming mechanisation says expert
Published on: 11 November 2022, 07:05 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now