Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 12 November, 2022 8:00 AM IST
मौजूदा समय में किसानों के पास भूमि के घटते आकार और बिखरे हुए खेतों के कारण कृषि यंत्र बाजार को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जो बड़े पैमाने पर कृषि मशीनीकरण और किसानों के लिए इन्हें खरीदने के सामर्थ्य के दायरे को सीमित करता है. (फोटो-सोशल मीडिया)

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में कृषि यंत्रों की खरीद-परोख्त के लिए एक बड़ा बाजार तंत्र विकसित हो सकता है. देश में सटीक खेतीबाड़ी, किसानों के लिए श्रम और धन की बचत की बढ़ती आवश्यकताओं के लिए ट्रैक्टर के अलावा अन्य कृषि यंत्रों की जरूरत है. कृषि उपकरण, जैसे की लेजर लेवलर, रोटावेटर, रीपर, धान ट्रांसप्लांटर और हार्वेस्टर, कपास हार्वेस्टर किसानों के बीच लोकप्रियता बटोर रहे हैं.

भारत को एक ट्रैक्टरीकृत बाजार बनाया गया है न कि यंत्रीकृत. विश्व स्तर पर ट्रैक्टर उद्योग, कुल उद्योग (ट्रैक्टर+ कृषि मशीनरी) का केवल 38 प्रतिशत है. जबकि भारत में यह कुल उद्योग का लगभग 80 प्रतिशत है.

एम और एम लिमिटेड (स्वराज डिवीजन) के सीईओ हरीश चव्हाण का कहना है कि भारतीय ट्रैक्टर बाजार लगभग 39000 करोड़ रुपये का है, जो कि वैश्विक उद्योग का 10 प्रतिशत है. इसके विपरीत, भारत में कृषि मशीनरी का बाजार लगभग 7000 करोड़ रुपये है, यह वैश्विक कृषि यंत्र उद्योग का केवल 1 प्रतिशत है.

खेती किसानी में मशीनीकरण परिश्रम और समय बचाता है, साथ ही कृषि दक्षता को भी बढ़ाता है. धान की रोपाई, कपास की कटाई, गन्ने की कटाई, फसल अवशेष प्रबंधन की शुरुआत और जरूरी उपकरणों के इस्तेमाल से जल संरक्षण जैसे कृषि कार्यों में यंत्रों का प्रयोग किया जा सकता है. हालांकि पिछले तीन दशकों में खेती-किसानी के लिए कृषि यंत्रों के उपयोग में तेजी आई है.

हालांकि मौजूदा समय में किसानों के पास भूमि के घटते आकार और बिखरे हुए खेतों के कारण कृषि यंत्र बाजार को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जो बड़े पैमाने पर कृषि मशीनीकरण और किसानों के लिए इन्हें खरीदने के सामर्थ्य के दायरे को सीमित करता है.

ये भी पढ़ें-सीमांत-छोटे किसानों के पास कृषि यंत्रों को खरीदने की हैसियत खेती-किसानी में असमानताओं को गहरा कर रही है: एफएओ

इस समस्या पर कृषि मशीनरी और उपकरण निर्माताओं का विचार है कि कृषि यंत्र उद्योग को उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं को तैयार करना चाहिए. ‘बेस्ट इन क्लास’  उत्पादों को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में वितरित करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. इससे देश में कृषि यंत्रों को अपनाने में किसानों को नया नजरिया मिलेगा है.

English Summary: huge potential in India for farming mechanisation says expert
Published on: 11 November 2022, 07:05 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now