ट्रैक्टर किसान भाइयों के लिए एक बहुत ही उपयोगी कृषि यंत्र है. ट्रैक्टर के बिना खेती करने के बारे में तो आज के समय में किसान सोच भी नहीं सकते हैं. ट्रैक्टर की सहायता के खेती से संबंधित छोटे व बढ़े कामों को करना बेहद आसान हो गया है. साथ ही इसने खेती को भी आसान बनाया है.
लेकिन एक बढ़ा और टिकाऊ ट्रैक्टर किसानों के लिए बहुत ही महंगा होता है. जिस कारण के बहुत से किसानों को ट्रैक्टर को नुकसान पहुंचाने का डर हमेशा बना रहता है. लेकिन अब आपको घबराने की जरूरत नहीं आज हम आपको कृषि जागरण के इस लेख में ट्रैक्टर से संबंधित इंश्योरेंस स्कीम के बारे में बातएंगे. जो बहुत ही कम किसान जानते है.
ट्रैक्टर पर इंश्योरेंस स्कीम (Insurance Scheme On Tractor)
एक सर्वे के अनुसार, भारत में हर साल 7 से 8 लाख ट्रैक्टर को बेचा जाता है. इन खरीदारों में अधिकतर किसान होते है, जो अपनी सुविधा के अनुसार ट्रैक्टरों को खरीदते है और साथ ही ज्यादातर किसान सरकारी कंपनियों से ही अपने ट्रैक्टरों का इंश्योरेंस कराते हैं.
आपको बता दें कि देश में चार ही सरकारी कंपनियां ट्रैक्टरों का इंश्योरेंस करती है. जिसमें थर्ड पार्टी और कम्प्रेसिव इंश्योरेंस होता है. अगर आप थर्ड पार्टी का इंश्योरेंस कराते है, तो आपको उसमें सीपीए और जीएसटी शामिल कर के दिया जाता है. ज्यादातर किसान थर्ड पार्टी का इंश्योरेंस ही करवाते है और वहीं कम्प्रेसिव इंश्योरेंस में किसान के ट्रैक्टर के रेट की हिसाब से इंश्योरेंस किया जाता है.
इंश्योरेंस के लिए 5 निजी कंपनियां (5 Private Companies For Insurance)
बहुत ही कम किसान है जो यह जानते हैं कि अन्य निजी कंपनीयां भी उनके बजट के अनुसार ट्रैक्टरों का इंश्योरेंस करती है. इसमें इफको टोकिया, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, मेग्मा और एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी शामिल है. इन कंपनियों में किसानों के ट्रैक्टरों को प्राथमिकता दी जाती है. इन सभी कंपनियों में प्रीमियम की गणना ऑनलाइन के माध्यम के माध्यम से की जाती है.
यह भी पढ़े ः ट्रैक्टर की देखभाल करने का सबसे आसान और सफल तरीका, पढ़िए
ट्रैक्टर इंश्योरेंस के लाभ (Benefits of Tractor Insurance)
- जैसेमोटरसाइकिल, कार या कोई अन्य वाहन के लिए इंश्योरेंस के होने वाले फायदे दिये जाते हैं. उसी प्रकार से ट्रैक्टर के इंश्योरेंस के लाभ दिए जाते है.
- किसीभीवाहन के लिए कानूनी रूप से इंश्योरेंस बेहद जरूर होता है.
- ट्रैक्टर को नुकसान पहुंचाने पर धन की हानि से बचना.
- बाढ़, तूफान, बिजली, भूकंप, भूस्खलन आदि जैसे प्राकृतिक कारणों से होने वाले दुर्घटना से बचने के लिए.
- चोरी, आकस्मिक क्षति आदि के होने से किसान का बचाव.
- चोट, मौत, संपत्ति के नुकसान आदि के बचाव के लिए तीसरे पक्ष के देनदारी के लिए.
- दुर्घटनाकीस्थिति में बचाव के लिए इंश्योरेंस किसी वरदान से कम नहीं है.