कृषि क्षेत्र में आधुनिक कृषि यंत्रों को लाने का मूल उद्देश्य कृषि विकास की दर को गति प्रदान करने के साथ-साथ फसलोत्पादन तथा उत्पादकता में वृद्धि करना है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर उनके जीवन-स्तर को ऊपर उठाया जा सके. इसके अलावा किसानों के लिए रोजगार के नये अवसर प्रदान करना है. तो आइये जानते है कुछ आधुनिक कृषि यंत्रों के बारें में जो कृषि क्षेत्र में अपना अहम योगदान दे रहे हैं-
एक्सियल फ्लो पैडी थ्रेशर
कृषकों के लिये धान की गहाई हमेशा से एक प्रमुख समस्या रही है. प्रचलित थ्रेशरों से धान की गहाई नहीं कर जा सकती है. धान का रकबा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है जिसके फलस्वरूप कृषकों द्वारा विशेष किस्म के थे्रशर की मांग की गई. इसको ध्यान में रखते हुए 'एक्सियल फ्लो पैडी थ्रेशर' को प्रचलित किया गया. इसके उपयोग से पैरा नहीं टूटता है जो पशु आहार के रूप में आसानी से उपयोग किया जा सकता है.
सनफ्लावर थ्रेशर
सूरजमुखी की खेती में गहाई एक मुख्य समस्या है क्योंकि प्रचलित थ्रेशरों से दाना टूटता है, एवं अधिक नमी के कारण थ्रेशर बार-बार चोक होता है, इस समस्या को ध्यान में रखते हुए 'सनफ्लावर थ्रेशर' का अविष्कार किया गया. इस थ्रेशर से एक ही बार में आसानी से गहाई की जा सकती है. इसमें दानें भी बहुत कम टूटते है.
वन पास मिनी राइस मिल
इस मिल की मुख्य विशेषता यह है, कि इसमें एक ही बार में धान की डिहस्किंग एवं पॉलिशिंग होती है तथा चावल भी कम टूटता है एवं ऊर्जा की खपत भी कम होती है. इस मिल को आसानी से ट्रैक्टर की ट्राली पर स्थापित कर एक गांव से दूसरे गांव ले जाया जा सकता है. इसके परिणाम अत्यंत उत्साह जनक पाए गए है, जिसके कारण कृषकों में इसकी मांग बढ़ रही है.
रीपर
धान एवं गेहूँ की फसल की कटाई के समय मजदूरों की समस्या को देखते हुए रीपर के उपयोग को बढ़ावा दिया गया जिसके परिणाम अत्यंत उत्साह जनक पाए गए.
स्ट्रा रीपर
वर्तमान समय में कम्वाइन हार्वेस्टर का उपयोग बढ़ता जा रहा है. कम्वाइन हार्वेस्टर द्वारा फसल की कटाई का काफी बड़ा हिस्सा डंठल के रूप में छोड दिया जाता है जिसके कारण कृषकों को भूसे का नुकसान होता है इसके अतिरिक्त उन्हे अलग से सफाई करनी पड़ती है. स्ट्रा रीपर खेत में बचे डंठलों को काटकर भूसा बनाता है.
सीड ग्रेडर
आज भी अधिकांश किसान स्वयं का बीज उपयोग करते है जिसकी समुचित ग्रेडिंग नहीं की जाती है. मिश्रित आकार के बीजों से उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. अतः उपयुक्त बीज हेतु 'सीड ग्रेडर' से बीज को उपयोगी एवं लाभप्रद बनाया जाता है.