कहा जाता है कि आयुर्वेद में तरह-तरह की बीमारियों का इलाज है. आज हम औषधीय फल गूलर के बारे में चर्चा करेंगे. ये फल मूत्र रोग, माहवारी, मधुमेह में काफ़ी उपयोगी है. गूलर जड़ी-बूटी की तरह काम करता है.
पीरियड में बेहद फ़ायदेमंद
महिलाओं को पीरियड में सबसे ज़्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस समय काल के दौरान उन्हें दर्द और मानसिक, शारीरिक तकलीफ़ से गुज़रना पड़ता है. अगर आपको पीरियड में अत्यधिक ख़ून आता है या किसी तरह का घाव हो गया है तो आप इस फल का सेवन कर सकती हैं. मासिक धर्म में इसका सेवन बेहद लाभकारी पाया गया है. इसके अलावा महिलाओं में ल्यूकोरिया की समस्या में भी ये फल लाभकारी है. ध्यान रहे कि गूलर का सेवन चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करें.
कमज़ोर इम्यूनिटी और पेट की समस्या से राहत
जो लोग कमज़ोर इम्यूनिटी से परेशान हैं. उनको गूलर के फल का सेवन ज़रूर करना चाहिए. पेट की समस्या में ये फल अत्यधिक लाभकारी है. गूलर के दूध को किसी चीज़ में मिलाकर खाने से दस्त आना बंद हो जाता है. गूलर का दूध बताशे में डालकर दिनभर में तीन से चार बार सेवन करने से पेचिश में बहुत आराम मिलता है. पेट दर्द और गैस की समस्या में भी गूलर का फल लाभकारी है.
घाव करता है ठीक
अगर आपको चोट लगी है या घाव है तो गूलर के दूध को रुई में लगाकर चोट वाली जगह पर हलके हाथ से लगाएं. बहुत आराम मिलेगा. लेकिन ऐसा चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करें.
बवासीर में दे राहत
ख़ूनी बवासीर में गूलर बहुत फ़ायदेमंद माना गया है. अगर आप इस समस्या से ग्रस्त हैं तो गूलर के दूध की कुछ बूंदे पानी में मिलाकर पीना शुरू करें, कुछ दिनों में आपको काफ़ी राहत मिलेगी.
त्वचा रोग में लाभकारी
औषधीय गुणों से भरपूर गूलर के दूध का लेप अगर कुछ दिन तक मस्सों पर लगाएंगे तो मस्से हट सकते हैं. अगर आप फोड़े-फुंसियों की समस्या से दो-चार हैं तो भी गूलर के दूध का लेप प्रभावित त्वचा पर लगाएं. आप देखेंगे कि आपको इन समस्याओं से जल्द राहत मिलेगी.
इन रोगों के अलावा शारीरिक कमज़ोरी, नकसीर फूटने, डायरिया आदि रोगों में ये फल बेहद लाभकारी है. हमारे आस-पास के वातावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखने में गूलर का पेड़ बहुत मदद करता है.
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(इस पोस्ट के माध्यम से गूलर के गुणों को वर्णन किया गया है. पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी बीमारी में इस फल के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से ज़रूर परामर्श लें)