आज की ट्रेन की तरह भागती हुई इस ज़िन्दगी में तनाव होना तो लाज़मी है लेकिन सवाल यह है कि पॉजिटिव या खुश होने से तनाव कैसे हो सकता है. जी हां पॉजिटिव होने से भी तनाव हो सकता है. अब इस सवाल का निवारण करते हुए चलते हैं और बात करते हैं कि ज्यादापॉजिटिव होने से तनाव के बारे में.
दरअसल बात यह है कि इंसान के जीवन में ख़ुशी होना बहुत जरुरी है लेकिन वह ख़ुशी ऐसी होनी चाहिए जो अपने आप मिले, अगर आप अपने असल जीवन में खुश नहीं हैं और फिर खुश होने का ढोंग कर रहे हैं तो आपके जीवन में मानसिक तनाव होना ही है. इसी मानसिक तनाव को विज्ञान की भाषा में टॉक्सिक पॉजिटिविटी(Toxic positivity) कहते हैं. टॉक्सिक पॉजिटिविटी के बारे में अगर विस्तार से बात करें, तो यह सामाजिक और व्यावहारिक दबाव के कारण होती है, इसमें व्यक्ति आतंरिक तौर पर उदास और हताश होने लगता है जिस कारण बहुत सारी समस्याएं पैदा होने लगती हैं.
टॉक्सिक पॉजिटिविटी के कारण होने वाली समस्याएं
आत्मग्लानि महसूस होती है(Feeling guilty)
समाज हमेशा किसी भी व्यक्ति से खुश रहने की उम्मीद करता है लेकिन जब वह व्यक्ति असल में खुश नहीं है पर खुश होने की कोशिश कर रहा है और वह उसमें सफल नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में वह अपने आप को ही दोषी समझने लगाता है और तनाव लेने लगता है.
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शारीरिक स्वास्थ्य को हानि होती है(Affect physical health)
हम हार्मोन्स के कारण ही खुश और दुखी होते हैं लेकिन जब हम अपने हार्मोन्स को नहीं समझते पाते हैं या फिर समझ कर भी दरकिनार कर देते हैं तो इसका प्रभाव हमारे शरीर के ऊपर दिखने लगता है.
चिड़चिड़ा होने लगता है(Feeling irritative)
जब हम दुखी होते हुए भी जबरदस्ती मुस्कुराते रहते हैं तो हमें अन्दर से चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है जिस कारण धीरे- धीरे हमारी मानसिक स्थिति ख़राब होती चली जाती है.