यह मीठा और स्वादिष्ट होता है. आमतौर पर ये उत्तर भारत में ही पाया जाता है, इसलिए ये फल बहुत पॉपुलर नहीं है. लेकिन इसे खाने के ढेर सारे फायदे होते हैं क्योंकि ये कई तरह के विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है.
बहुउपयोगी है खिरनी
खिरनी के फल से निकले बीज से तेल भी निकाला जाता है और इसकी लकड़ी का भी कई तरह से उपयोग किया जाता है. खिरनी को आयुर्वेद में क्षिरिणी के नाम से जाना जाता है. क्षीर का शाब्दिक अर्थ दूध होता है. चूंकि इस फल या इसके पत्तों को तोड़ने पर दूध जैसा द्रव निकलता है, इसलिए इसका नाम क्षिरिणी रखा गया. धीरे-धीरे यही शब्द खिरनी और फिर खिन्नी बन गया.
क्यों कहा जाता है राजाओं का फल
आयुर्वेद में कहीं-कहीं खिरनी को 'राज फल' यानी राजाओं का फल भी कहा गया है. इसका कारण यह है पहले के समय में इसे राजा-महाराजा एक विशेष गुण के कारण खाते थे.
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दरअसल ये फल पुरुषों के लिए विशेष फायदेमंद होता है और इसमें पौरुष बढ़ाने वाले गुण होते हैं इसलिए ही इसे 'राज फल' कहा जाने लगा. वैद्य अजय के मुताबिक इस फल के सेवन से शरीर को ठंडक मिलती है, इसलिए गर्मी में इसे खाने के ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं.
खिरनी में विटामिन C अच्छी मात्रा में होता है इसलिए इसके सेवन से इम्यूनिटी अच्छी होती है और चेहरे पर चमक आती है. विटामिन सी वाले फूड्स के सेवन से आपकी बॉडी फ्री-रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बची रहती है. इसके अलावा ये फल शरीर को ठंडक प्रदान करने में भी मदद करता है.