शहद मधुमक्खी से प्राप्त होने वाला एक ऐसा प्राकृतिक तत्व है, जिसका मानव जीवन में एक अनोखा ही महत्व हैं. मधुमक्खी का मानव जीवन में दोहरा महत्व है, क्योंकि पहले तो यह फसलों में परागन की क्रिया को पूरी करती है साथ ही साथ फूलों से रस चूसकर शहद का निर्माण करती हैं, जो मानव के लिए एक प्राकृतिक दवा का काम करता हैं.
कहा जाता है कि शहद जितना मीठा होता है उतना ही गुणकारी भी होता हैं. मधुमक्खी में काटने व चाटने वाले मुखांग पाये जाते है. जिनकी सहायता से वह फूलों से रस चूंसती है तथा रस को शहद मे परिवर्तित कर देती है और उसको अपने छत्ते में संग्रहित कर लेती हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि शहद कई सालों तक खराब नहीं होता. क्योंकि इसमें पानी की मात्रा बहुत ही कम पायी जाती हैं. शहद संघनित रहता है जिसके कारण इसमें जल्दी से बैक्टिरिया भी नहीं पनप पाते हैं. शहद में इतना मीठापन इसमें पायी जाने वाली शुगर, फ्रक्टोज व ग्लूकोज के कारण होता हैं. इनके अलावा शहद में माल्टोज, सुक्रोज, विटामिन, खनिज लवण व एंटीआँक्सीडेंट्स भी मौजुद होते हैं. एंटीआँक्सीडेंट्स कीटाणुओं व विषाणुओं से लड़ने में समर्थ होते हैं इसी वजह से तो शहद एक दवा के रूप में काम आता हैं. शहद एक सुपाच्य पदार्थ है जिसके कारण यह रक्त में आसानी से घुल जाता हैं. शहद में मुख्य रूप से निम्न अवयव पाये जाते हैं.
अवयव |
प्रतिशत मात्रा |
प्रक्टोज |
38% |
ग्लूकोज |
31% |
माल्टोज |
7% |
सूक्रोज |
1.3% |
चीनी |
1.5% |
पानी |
17.2% |
शहद का उपयोग प्राचीन काल से ही स्वास्थ्यवर्धक के रूप में पाया गया हैं. मानव जीवन में ऐसे कई प्रकार के रोग पाये जाते है. जिनमें शहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं, जो निम्न प्रकार हैं.
त्वचा के लिए: त्वचा के दाग, धब्बे दूर करने के लिए शहद में थोड़ा बेसन, नींबू का रस और थोड़ा सा दूध मिलाकर गाढ़ा घोल बनाकर 10-15 मिनट तक चहरे पर लगाये तथा बाद में गुनगुने पानी से धो लिजिए.
सर्दी-जुखाम: इस रोग को खत्म करने के लिए 3 ग्राम शहद और 2 चम्मच अदरक का रस मिलाकर 3 दिन तक लगातार सेवन करना चाहिए.
खाँसी: एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से खाँसी ठीक हो जाती हैं.
महिलाओं के लिए: ऐसी महिलाऐं जो गर्भवती हो 2 चम्मच शहद का उपयोग रोज करने से उन्हें खून जमने की प्रेसानी से छुटकारा मिल सकता हैं.
वजन घटाना: यदि आपके मोटापा आ गया हो तो रोज सुबह खाली पेट एक गिलास नींबू पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए.
मुँह के छाले: 3 ग्राम सुहागे को बारीक पीसकर 100 ग्राम शहद व 10 ग्राम ग्लिसरीन में मिलाकर उपयोग करने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं.
गला बैठना: यदि काली मिर्च, हींग व केसर को समान मात्रा में लेकर, बारीक पीसकर, शहद में मिलाकर उपयोग करें तो गला साफ हो जाता हैं.
गले की सूजन: 30 ग्राम शहद को एक कप पानी में मिलाकर गरारे करने से गले की सूजन दूर हो जाती हैं.
बच्चों के लिए: छोटे बच्चों के मसूड़ों पर शहद लगाने से दांत जल्दी व आसानी से निकल आते हैं.
दांतों का रोग: 4 ग्राम काली मिर्च और 15 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर 30 ग्राम शहद व 30 ग्राम सिरका में मिलाकर मिश्रण तैयार करके मंजन करें तो दांतों का हिलना, कीड़ा लगना, तथा पायरिया जैसे कई रोगों से छुटकारा मिल सकता हैं.
कब्ज: एक गिलास दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर रात को सोते समय लेने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती हैं.
छाती का रोग: छाती में बलगम जमा होने से सांस लेने में तकलीफ होती है. इससे बचने के लिए 10 ग्राम शहद में 2 ग्राम मुलेठी, 2 ग्राम मुनका व 2 ग्राम आँवला मिलाकर सुबह शाम प्रयोग करना चाहिए.
शहद का कैसे करें रखरखाव:
सर्दी के मौसम में शहद जमकर दानेदार हो जाता हैं अत: इसका उपयोग करने के लिए इसे आग पर गर्म नहीं करें बल्कि धूप में या हल्के गर्म पानी में रखकर पिघलायें. आग पर गर्म करने से शहद जहर में परिवर्तित हो सकता हैं.
शहद को रखने के लिए हमेशा गहरे रंग की हवा बंद बोतल का ही उपयोग करना चाहिए.
घी और शहद का बराबर मात्रा में प्रयोग नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से स्वास्थ्य सुधरने की बजाय बिगड़ सकता हैं.
शोधकर्ताओं के अनुसार शहद का रंग जितना हल्का होगा उसकी क्वालिटी उतनी ही अच्छी होगी.