अस्थमा एक गंभीर बीमारी है जिसमें सांस लेने की नली सूजन की वजह से संकरी हो जाती है और इससे सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. क्लीनिकल रिसर्च फॉर द फिजिशियन कमिटी की प्रमुख शोधकर्ता हाना खालियोवा ने ये शोध जर्नल न्यूट्रिशन रिव्यूज में प्रकाशित किया गया है. डेयरी उत्पादों का इस्तेमाल करने से अस्थमा का खतरा बढ़ता है, वहीं पौधयुक्त आहार का ज्यादा सेवन करने से अस्थमा से बचाव करने और उसके प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है.
अस्थमा की बीमारी से 23.5 करोड़ लोग दुनियाभर में जूझ रहे हैं. दुर्भाग्यवश इस बीमारी से पीड़ित लोग कोविड-19 के कारण सबसे ज्यादा खतरे की श्रेणी में हैं. इस शोध से पता चलता है कि आहार में बदलाव करके अस्थमा से बचाव किया जा सकता है. शोध में पाया गया कि फल, सब्जियां, साबुत अनाज और हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ अस्थमा में फायदेमंद साबित हो सकते हैं. वहीं, अनसैचुरेटेड फैट की ज्यादा मात्रा वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध से बने उत्पाद अस्थमा के मरीजों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं.
शोधकर्ताओं ने पाया कि कंट्रोल ग्रुप की तुलना में जब कुछ अस्थमा मरीजों ने आठ हफ्तों तक सिर्फ पौधयुक्त आहार का सेवन किया तो उनमें अस्थमा के अटैक कम हो गए और उन्हें अस्थमा की दवाओं की जरूरत भी कम पड़ने लगी. एक दूसरे शोध में अस्थमा पीड़ितों को एक साल तक पौधयुक्त आहार दिया गया और सांस खींचने और छोड़ने की मात्रा पहले की तुलना में बेहतर पाई गई.
शोधकर्ताओं का मानना है कि पौधयुक्त आहार के सेवन से श्वास नली में मौजूद सूजन में कमी आती है. इससे अस्थमा के दौरान सांस लेने की परेशानी दूर होती है. पौधयुक्त आहार में फाइबर ज्यादा होता है और फाइबर फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करता है. शोधकर्ताओं के अनुसार पौधयुक्त आहार में एंटीऑक्सीडेंट और फ्लेवेनॉयड्स की मात्रा ज्यादा होती है जो फेफड़ों की सुरक्षा करने में मदद करती है.